20 Apr 2025
Credit: Pexel
क्या आपने कभी गौर किया है कि जब फ्लाइट टेक-ऑफ या लैंड करने लगती है, तो केबिन की लाइट्स धीमी यानी डिम कर दी जाती हैं?
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जब आपकी आंखें अंधेरे की आदत डाल लेती हैं, तो अगर फ्लाइट में कुछ इमरजेंसी हो जाए, तो आप बाहर के अंधेरे माहौल को बेहतर देख सकते हैं और जल्दी रिएक्ट कर सकते हैं.
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टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान प्लेन की एनर्जी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे में लाइट्स को धीमा करके बाकी जरूरी सिस्टम्स को पावर देने में मदद मिलती है.
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जब केबिन डिम होता है, तो फ्लोर की इमरजेंसी लाइट्स साफ-साफ दिखने लगती हैं , जिससे इमरजेंसी निकासी में कोई परेशानी ना हो.
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पैसेंजर का फोकस हो सही जगह हो इसलिए भी किया जाता है.क्योंकि डिम लाइट्स से ध्यान हटता नहीं, बल्कि क्रू के इंस्ट्रक्शन और सेफ्टी डेमो पर फोकस बढ़ता है.
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ये सब बातें इंटरनेशनल एविएशन रूल्स का हिस्सा है तो अगली बार जब फ्लाइट में लाइट्स डिम हों, तो समझ जाइयेगा की ये सब सफर को सेफ्टी के लिए किया गया है.
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