19 March 2025
Credit: NASA
नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की नौ महीने बाद अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर वापसी हो गई.
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एस्ट्रोनॉट्स को लेकर लोगों के मन में अब कई सवाल हैं, जैसे वे क्या खाते हैं, कैसा पानी पीते हैं, और उनके लिए पानी की व्यवस्था कैसे होती है.
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धरती से ISS तक 1 गैलन पानी भेजने में $83,000 खर्च होता है, जबकि अंतरिक्ष यात्रियों को रोज़ाना 12 गैलन पानी चाहिए. बार-बार पानी भेजना महंगा और असंभव है, इसलिए रिसाइकलिंग भी होती है.
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अंतरिक्ष में पानी ले जाना बहुत महंगा और चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन NASA के ने इस समस्या का समाधान खोज लिया है.
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ISS पर मौजूद अंतरिक्ष यात्री पसीने, सांस से निकलने वाली नमी और यहां तक कि यूरिन को रिसाइकल कर पीने योग्य पानी बना रहे हैं.
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ISS में 'एनवायर्नमेंटल कंट्रोल एंड लाइफ सपोर्ट सिस्टम (ECLSS) नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जो पानी को दोबारा इस्तेमाल करने की प्रक्रिया में मदद करता है.
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ये तकनीक पसीने, सांस से निकलने वाली नमी और यहां तक कि यूरिन को रिसाइकल करके पीने योग्य पानी बनाती है.
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इसमें मुख्य प्रक्रियाएं शामिल हैं. पहला, 'वॉटर प्रोसेसर असेंबली', जो सांस और पसीने से निकली नमी को इकट्ठा करके उसे फिल्टर और शुद्ध करता है.
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दूसरा, "यूरिन प्रोसेसर असेंबली", जो यूरिन को वैक्यूम डिस्टिलेशन तकनीक से साफ करता है.
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नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार, इस प्रक्रिया से प्राप्त पानी पृथ्वी पर मिलने वाले किसी भी पानी से अधिक शुद्ध होता है.
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ISS पर एक और जल प्रणाली न केवल अंतरिक्ष यात्रियों की पीने के पानी की जरूरत को पूरा करती है, बल्कि शॉवर से नमी को इकट्ठा करके उसे फिल्टर कर दोबारा उपयोग योग्य पानी में बदलती है.
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