12 May 2025
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दुनिया में अस्थिरता चरम पर है. रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है, इजराइल-गाजा संघर्ष से मानवता कांप रही है, और भारत-पाकिस्तान के हालात भी नई चिंता पैदा कर रहे हैं.
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ऐसे माहौल में आशंका गहराती है कि कहीं यह वैश्विक तनाव परमाणु हमले तक न पहुंच जाए. ऐसे में जानना जरूरी है कि ऐसा करने वाले देश का अंजाम क्या होगा.
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एक अंदेशा ये है कि परमाणु शक्तियां 'सेकंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी; यानी जवाबी हमले की क्षमता रखती हैं. अगर कोई देश पहले परमाणु हमला करता है...
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यानी दूसरा देश भी पलटवार कर सकता है.अमेरिका, रूस, चीन और भारत जैसी परमाणु शक्तियां इस सिद्धांत के तहत जवाबी हमले के लिए तैयार रहती हैं.
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परमाणु हमला करने वाले देश पर व्यापक आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं. जैसे-बैंकिंग सिस्टम से बाहर करना (SWIFT से हटाना), व्यापार बंद करना, विदेशी संपत्तियों को जब्त करना आदि.
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एक सूरत ये भी हो सकती है कि ये सिलसिला और भी बढ़ सकता है.दुनिया में तीसरे विश्व युद्ध शुरू हो जाएगा.भारत-पाकिस्तान जैसे परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध से दुनिया के जलवायु पर भी असर पड़ सकता है.
परमाणु हमला करने के फैसले से उस देश के अंदर भी राजनीतिक उथल-पुथल मच सकती है. जनता, विपक्ष और सेना में असंतोष पैदा हो सकता है, जिससे सरकार की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है.
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1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के बाद अमेरिका के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि वह युद्ध विजेता था.
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धीरे-धीरे नैतिक आलोचना बढ़ी। वैज्ञानिकों और धार्मिक नेताओं ने विरोध जताया, जबकि अमेरिका ने रेडिएशन प्रभावों की खबरों को दबाने की कोशिश की और जापानी दावों को प्रचार बताया.
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