इतिहास में कई बड़ी घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों हजारों की संख्या में लोगों ने जान गंवाई है. ऐसी ही एक घटना आज ही के दिन यानी 19 जून, 1718 में घटित हुई थी.
इसमें 70,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इस घटना को दुनिया ग्रेट टोंगवेई-गांसु भूकंप के नाम से भी जानती है. यहां भूकंप आने से साथ ही भूस्खलन भी हुआ था.
इस घटना को लेकर काफी रिसर्च की गईं. भूकंप और भूस्खलन कितना खतरनाक और किस तरह का था ये भी जानने की कोशिश हुई.
बता दें, ये जगह चीन में स्थित है. जिसे तब किंग डायनेस्टी के नाम से जाना जाता था.
इससे नानजियांग में सभी इमारतें ढह गईं, इनमें दफ्तर, स्कूल, मंदिर और घर शामिल थे. शहर में 40,000 से अधिक लोगों की मौत हुई. वहीं 30,000 अन्य लोगों की मौत योंगनिंग में हुई.
भूस्खलन ने तमाम घरों को दफन कर दिया. पूरा का पूरा योंगनिंग प्राचीन शहर भूकंप के बाद नष्ट हो गया. पहाड़ों की ऊंची चोटियां नदियों में आ गिरीं, जिससे हजारों लोग मारे गए.
जुआंग्लांग काउंटी में एक बड़ी पहाड़ी से भूस्खलन हुआ. इसके कारण हजारों लोग मारे गए. किनआन काउंटी में कई गेट टावर, पवैलियन और युद्धस्थल नष्ट हो गए.
तियानशुई में भूकंप से कन्फ्यूशियस के मंदिर और घर ढह गए. बता दें, चीन के विचारक का नाम कन्फ्यूशियस था, उन्हें सुधारवादी भी कहा जाता है.
जमीनी दरारों और भूस्खलनों ने आम निवासियों की जान ले ली. गांसु प्रांत के अन्य हिस्सों में मौत के छोटे आंकड़े दर्ज किए गए थे. भूकंप ने शानक्सी और हेनान प्रांतों को भी प्रभावित किया.
चीन के गांगसु शहर के पान'आन शहर में भी भूस्खलन हुआ. इस घटना को आज 300 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है.
इसके बाद से आज तक कभी ऐसी घटना देखने को नहीं मिली है. हालांकि चीन में भूकंप और भूस्खलन की खबरें अब भी आती हैं. (सभी तस्वीरें- प्रतीकात्मक)