13 May 2025
भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कई आतंकी और सैन्य ठिकानों पर हवाई हमला किया गया. इसके बाद से कई ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि इसमें पाकिस्तान का एक परमाणु ठिकाना भी क्षतिग्रस्त हुआ है. (तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
Credit: Meta AI
ऐसे में लोग परमाणु विकिरण (रेडिएशन) से उपजने वाले जोखिम और असर को लेकर सशंकित हैं और गूगल पर इसके प्रभाव जानने को लेकर जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं. (तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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ऐसे में ये जानना जरूरी होगा कि आखिर परमाणु रेडिएशन का मानव शरीर पर क्या असर पड़ता है और ये किस हद तक खतरनाक है. (तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्म है)
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किसी परमाणु दुर्घटना या विस्फोट के बाद जब इसका रेडिएशन फैलता है तो सबसे पहले इसकी चपेट में आने वाले एआरएस (एक्यूट रडिएशन सिंड्रोम) से प्रभावित हो जाते हैं. यानी की सबसे नजदीकी लोगों में रेडिएशन की ज्यादा मात्रा होती है. (तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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इससे लोगों को तुरंत त्वचा में जलन, थकान, उल्टी महसूस होने लगती है. साथ ही मल्टी ऑर्गन फेल्योर की स्थिति बन जाती है और कुछ देर में मौत हो जाती है. (तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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थोड़ी देर बाद रेडिएशन से प्रभावित होने वालों में भी स्कीन में जलन, ऑर्गन फेल्योर और कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. कई दिनों तक इन समस्याओं से जूझने पर लोगों की मौत तक हो जाती है.(तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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वहीं लंबे समय तक दुर्घटना से दूर के लोगों पर भी रेडिएशन के असर होते हैं. इससे कैंसर, DNA डैमेज, बर्थ डिफेक्ट जैसी साल दर साल चलने वाली बीमारियों को खतरा भी होता है.(तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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रेडिएशन का असर दूसरी पीढ़ी में भी देखने को मिलता है. इस वजह से कई साल बाद जन्म लेने वाले बच्चों में भी विकलांगता आ जाती है. साथ ही हेयर लॉस, कैंसर, थायरॉड कैंसर जैसे जोखिम बढ़ जाते हैं.(तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र में दुर्घटना के बाद इसके प्रभाव पर अध्ययन करने पर ऐसे कई मामले सामने आए थे.(तस्वीर AI जेनरेटेड और प्रतीकात्मक है)
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