16 April 2025
हर साल विश्व के सैकड़ों देशों से लाखों मुस्लिम श्रद्धालु हज यात्रा पर जाते हैं. इसके लिए अलग-अलग देशों का कोटा तय है. अभी भारत के तय कोटे में कमी कर दी गई. ऐसे में समझते हैं आखिर कैसे तय होता है हज कोटा?
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दुनिया भर के करीब 180 देशों से 18 से 20 लाख मुसलमान श्रद्धालुओं के मक्का में एकत्र होने की उम्मीद होती है. सऊदी अरब के लिए हज यात्रा का आयोजन चुनौती भरा होता है.
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इतनी ज्यादा संख्या में लोगों के आने से उनकी सुरक्षा, परिवहन, रहने और खाने के प्रबंध को देखते हुए हर देश के हज यात्रियों का कोटा तय किया जाता है.
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हर साल करीब 18 लाख से 25 लाख तक लोग हज करते हैं. साल 2024 में 18.30 लाख लोगों ने हज किया था जिनमें से 16.1 लाख विदेशों से थे. यही वजह है कि हर साल अलग-अलग देशों के लिए हज यात्रियों का अलग-अलग कोटा तय होता है.
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भारत सरकार ने इस बार सऊदी अरब के साथ समझौता किया था और 1 लाख 75 हज़ार लोगों के हज पर जाने का कोटा मिला था, जिसमें कटौती कर दी गई, लेकिन बातचीत के बाद फिर से 10 हजार कोटा बढ़ाया गया है.
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कोटा मुख्य रूप से किसी भी देश के मुस्लिम आबादी के आधार पर निर्धारित किया जाता है. इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के 1987 के प्रस्ताव के आधार पर, देशों को प्रति 1,000 मुसलमानों पर एक तीर्थयात्री की अनुमति है.
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यही वजह है कि दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले इंडोनेशिया को 2.5 लाख, दूसरे नंबर पर पाकिस्तान को 1.80 लाख, तीसरे पर भारत को 1.75 लाख, बांग्लादेश को 1.27 लाख, नाजीरिया को 95 हजार और ईरान को 85 हजार का कोटा मिला है.
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अब भारत को मिले हज कोटे में इसके संचालन के लिए दिए इसे दो हिस्सों में बांट दिया जाता है. क्योंकि भारत से यात्री हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCI) और निजी टूर ऑपरेटरों जरिए ही हज पर जाते हैं.
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भारत में हज कोटा हज कमेटी ऑफ इंडिया (HCI) और निजी टूर ऑपरेटरों के बीच 70:30 के अनुपात में बांट दिया जाता है.
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हज कमेटी सरकारी सुविधाओं वाली यात्रा संभालती है. इसलिए एचसीआई की ओर से भेजे जाने वाले यात्रियों को कम खर्च पड़ता है. यानी एक यात्री का खर्च करीब 3.5 लाख आता है.
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वहीं जो लोग भारत से निजी ऑपरेटरों के कोटे से जाते हैं, उनकी हज यात्रा का खर्च एक आदमी पर 7 से 10 लाख रुपये तक आता है.
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