28 March 2025
एक ऐसा भी पौधा है जिसके पत्ते,फल या किसी भी हिस्से को छूते ही आपको खुदकुशी की इच्छा होने लगती है. क्योंकि यह पौधा एक बार में हजार सांपों के जहर जितना डंक मारता है.
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इस पौधे का नाम है 'जिम्पई-जिम्पई'. इसके पत्ते, तने और फल पर रोएं होते हैं. इन महीन रोएं के संपर्क में आने से ये किसी जहरीले डंक की तरह चुभता है.
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इसके चुभने से इतना दर्द होता है, जैसा कि एक साथ एक ही जगह हजार सांप ने काट लिया हो या एक साथ हजार जहरीली सुईयां चुभो दी गई हो. इतना ही नहीं इसके संपर्क में आने के बाद दर्द और चुभन कई सालों तक बना रह जाता है.
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इससे इतनी ज्यादा परेशानी होती है कि लोग आत्महत्या तक करने के लिए विवश हो जाता हैं. जिम्पई से जुड़ी डरावनी कहानियों की कमी नहीं है.
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डिस्कवरी चैनल के अनुसार एक भूतपूर्व सैनिक, सिरिल ब्रोमली द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक पौधे पर गिर गए थे. वह इतना चीख-चिल्ला रहे थे कि उन्हें अस्पताल के बिस्तर पर बांध दिया गया.
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इसी तरह एक और सैन्य अधिकारी ने इसके पत्ते का टॉयलेट पेपर की तरह इस्तेमाल कर लिया और बाद में इतना ज्यादा परेशान हुआ कि खुद को गोली मार ली. .
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वनस्पतिशास्त्री एर्नी राइडर को 1963 में चेहरे, हाथ और छाती पर इसके पत्ते सटे थे और 1965 तक वह दर्द से मुक्त नहीं हो पाए.
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इस पौधे पर शोध करने वाली वनस्पतिशास्त्री मरीना हर्ले ने बताया कि जिम्पई जिम्पई को छूने पर कैसा महसूस होता है, ये बयां नहीं किया जा सकता. ऐसा लगता है कि एक ही समय में गर्म एसिड से जलाया जा रहा हो और बिजली का झटका लगा हो.
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मरिना हर्ले कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलियाई वर्षावनों पर शोध कर रही थीं. वैज्ञानिक होने के नाते सुरक्षा के लिहाज से उन्होंने हाथों में वेल्डिंग ग्लव्स और बॉडी सूट पहना हुआ था. इतने के बावजूद जिम्पई जिम्पई की स्टडी करना उन्हें भारी पड़ गया.
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हर्ले दर्द से बेहाल अस्पताल पहुंची तो उनका सारा शरीर लाल पड़ चुका था. वे जलन से चीख रही थीं. ये जिम्पई-जिम्पई का असर था, जिसे ठीक करने के लिए उन्हें लंबे समय तक अस्पताल में स्टेरॉयड लेकर रहना पड़ा.
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उन्होंने बताया कि ये पौधे मूल रूप से ऑस्ट्रेलिया के वर्षावन में पाए जाते हैं. रेनफॉरेस्ट पर काम करने वालों, या लकड़ियां काटने वालों के लिए जिम्पई मौत का दूसरा नाम है.
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