11 April 2025
पाउलो कोएलो ने अपनी बेस्टसेलर 'द अल्केमिस्ट' में लिखा है, "जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हैं तो पूरी दुनिया आपको उसे पाने में मदद करती है.
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इसका जीता जागता उदाहरण गोपिका गोविंद हैं, जिनका सपना एयर होस्टेस बनने का था.
करिम्बाला आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गोपिका का बचपन भी उनके कॉलोनी के कई अन्य बच्चों की तरह गरीबी में बीता. उनके माता-पिता, पी. गोविंदन और वीजी, दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करते थे.
वह बचपन से ही एयर होस्टेस बनना चाहती थीं, लेकिन आर्थिक समस्याओं ने उन्हें दूसरा रास्ता चुनने पर मजबूर कर दिया.
अपने परिवार की आर्थिक तंगी के कारण गोपिका ने रसायन विज्ञान में बीएससी की पढ़ाई की और जॉब करने का सोचा.
ग्रेजुएशन के एक साल बाद, गोपिका को नौकरी मिल गई, लेकिन अखबार में साफ वर्दी में केबिन क्रू की एक फोटो ने उसके बचपन के सपने को फिर से जगा दिया.
एक बार फिर प्रेरित होकर, उसने एक सरकारी समर्थित विमानन पाठ्यक्रम की खोज की और वायनाड के कालपेट्टा में ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में एक साल के डिप्लोमा में एडमिशन लिया.
अपना कोर्स पूरा होने से पहले, गोपिका ने इंटरव्यू दिया. हालांकि वह अपने पहले प्रयास में सेलेक्ट नहीं हुई थी, लेकिन वह अडिग रहीं और थर्ड अटेम्प्ट में एयर होस्टेस के लिए उनका सिलेक्शन हो गया.
वह वायनाड में ड्रीम स्काई एविएशन ट्रेनिंग अकादमी में एविएशन में एक साल का डिप्लोमा कोर्स करने लगी. वहां, उसे केबिन क्रू मेंबर बनने के लिए उचित मार्गदर्शन और ट्रेनिंग मिला.
गोपिका गोविंद की पहली उड़ान अपने तीन महीने के प्रशिक्षण कार्यक्रम को पूरा करने के बाद, गोपिका ने आखिरकार उस दुनिया में कदम रखा जिसकी उसने हमेशा कल्पना की थी.
वह कन्नूर से खाड़ी गंतव्य के लिए एक एयर होस्टेस के रूप में अपनी पहली उड़ान पर सवार हुई. यह न केवल उसके लिए बल्कि उसके समुदाय और पूरे राज्य के लिए गर्व का क्षण था.