WhatsApp पर आया 'डिजिटल अरेस्ट' का वारंट, साइबर ठगों ने बैंक मैनेजर को ऐसे लूटा 

11 Aug 2024

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इंदौर के रहने वाले रिटायर बैंक ऑफिसर और उनकी माता को साइबर ठगों ने करीब 50.57 लाख रुपये का चूना लगाया. इसके लिए उन्होंने डिजिटल अरेस्ट का इस्तेमाल किया. आइए इसके बारे में डिटेल्स में जानते हैं.

इंदौर में हुई साइबर ठगी 

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विक्टिम का नाम राकेश जैन (65) और उनकी मां 80 साल की हैं, वे उज्जैन में रहते हैं. उनको साइबर ठगों ने अलग-अलग केस के नाम पर डराकर धमका कर 50 लाख रुपये लूट लिया. 

बुजुर्ग हैं विक्टिम 

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विक्टिम ने पुलिस कंप्लेंट में बताया है कि उसे 7 अगस्त को एक मैसेज आया. उस नंबर ने दावा किया कि आपका एक नंबर ब्लॉक किया जा चुका है, क्योंकि आपके आधार कार्ड पर कई सिम कार्ड जारी हैं. q

ऐसे हुई साइबर ठगी की शुरुआत 

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इन सिम कार्ड का संबंध हवाला के लेन देन में किया है. इसके बाद विक्टिम को और डराया और धमकाया. इसके साथ एक अन्य नंबर से कॉल आई. 

विक्टिम को ऐसे डराया-धमकाया 

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कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई से साइबर क्राइम ऑफिसर बताया. इसके बाद उसने जैन को आरोपी बताया और कहा कि वह मनी लाउंड्रिंग के केस में शामिल है.

फेक पुलिस ऑफिसर 

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साइबर स्कैमर्स ने विक्टिम को बताया कि उसके आधार नंबर पर कई सिम कार्ड रजिस्टर्ड हैं. उन सिम कार्ड का लिंक मनीं लाउंड्रिंग केस में है.

आधार कार्ड पर कई सिम

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इसके बाद विक्टिम को यकीन हो गया है कि वह क्राइम ब्रांच ऑफिसर है. फेक पुलिस ऑफिसर ने बताया कि अगर उसने ये डिटेल्स किसी दूसरे के साथ शेयर की तो उसे 3 साल की सजा होगी. 

किसी को ना बताए 

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इसके बाद विक्टिम की बातचीत दूसरे शख्स से हुई, जिसने खुद का नाम मोहित बताया और विक्टिम को एक फेक डिजिटल अरेस्ट लेटर भेजा. यह लेटर  WhatsApp पर भेजा था. 

WhatsApp पर आया वारंट 

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इसके बाद विक्टिम इस पूरे मामले में डर गया और घबराकर उसने 50 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. इसके लिए उसने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट आदि तोड़ दिए.

FD तोड़ी

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इसके बाद विक्टिम को पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार हो चुका है. उसने इस मामले की जानकारी पुलिस को दी और कंप्लेंट दर्ज कराई.

दर्ज कराई FIR 

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