कर दिया इंसानों को रिप्लेस
21वीं सदी में इंटरनेट के बिना जिंदगी के बारे में सोचना भी बहुते से लोगों के लिए मुश्किल है. पेमेंट से लेकर एटरटेनमेंट तक सब कुछ इंटरनेट से जुड़ा हुआ है.
ऐसे में किसी आम जगह पर इंटरनेट का ना मिलना बहुत से लोगों को परेशान करता है. यहां तक की हवाई जहाज में भी अब इंटरनेट मिलता है, जो पहले नहीं मिलता था.
आज जिस इन-फ्लाइट Wi-Fi को आप यूज कर पाते हैं, कुछ साल पहले तक ऐसा कर पाना संभव नहीं था. मगर इसमें मदद की आलू ने.
आप सोच रहे होंगे कि वाईफाई में भला आलू का क्या काम? दरअसल, रेडियो वेव्स सभी चीजों के आरपार नहीं जा सकती हैं. कुछ इन्हें रिफ्लेक्ट कर देते हैं, तो कुछ एब्जॉर्ब और कुछ रिफ्रैक्ट.
ये सब निर्भर करता है कि रेडियो वेव टकराई किस चीज से हैं. कई चीजें रेडियो सिग्नल को एब्जॉर्ब कर लेती हैं, जिससे वाईफाई सिग्नल कम हो जाता है. इंसान भी इसी श्रेणी में आते हैं.
यानी इंसान भी रेडियो सिग्नल को एब्जॉर्ब कर लेते हैं. ऐसे में किसी प्लेन में बैठे आगे वाले लोगों को सही सिग्नल मिलता, लेकिन पीछे वालों को सिग्नल नहीं मिलता है.
इस टेस्ट को करने के लिए वैज्ञानिकों ने इंसानों की जगह आलू का इस्तेमाल किया था. 9000 किलो आलू लगभग उतने ही रेडियो सिग्नल एब्जॉर्ब करते हैं, जिसने किसी भरे हुए जहाज में इंसान.
Boeing ने अपने प्लेन में इस टेस्ट को किया था, जिससे इन-फ्लाइट Wi-Fi सिग्नल को बेहतर किया जा सके. इस तरह से आलू ने प्लेन में वाईफाई सिग्नल को बेहतर करने में वैज्ञानिकों की मदद की.
यानी आलू का टेक्नोलॉजी में सीधे तौर पर इस्तेमाल नहीं हुआ था. बल्कि इनका इस्तेमाल टेक्नोलॉजी को बेहतर करने के लिए एक टेस्ट में किया गया था.