18 Sep 2024
Credit: AI Image
लेबनान और सीरिया के कुछ इलाकों में मंगलवार को कई पेजर ब्लास्ट हुए हैं. पेजर एक पुरानी टेक्नोलॉजी है, जिसका इस्तेमाल कम्युनिकेशन के लिए होता है.
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90 के दशक में ये टेक्नोलॉजी काफी ज्यादा पॉपुलर थी, लेकिन जल्द ही मोबाइल फोन और फिर फीचर फोन्स ने इन्हें रिप्लेस कर दिया है.
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हालांकि, ये टेक्नोलॉजी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है और कई जगहों पर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. मंगलवार को लेबनान और सीरिया के कई इलाकों में ब्लास्ट हुए हैं.
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इन ब्लास्ट के लिए हिजबुल्लाह ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. खैर सवाल ये है कि कोई स्मार्टफोन या फिर एक पेजर बम कैसे बन जाता है.
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वर्तमान समय में एक्सप्लोसिव्स के छोटे रूप को एक डिवाइस में आसानी से फिट किया जा सकता है. इसके लिए C4 जैसे एक्सप्लोसिव यूज किए जाते हैं.
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ज्यादातर मामलों में इन विस्फोटकों को स्मार्टफोन या पेजर की बैटरी में फिट किया जाता है. इसके बाद वायरलेस सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है.
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ये सिग्नल ब्लूटूथ या मोबाइल नेटवर्क किसी भी तरह से भेजे जा सकते हैं, जिससे बैटरी का तापमान बढ़ेगा और एक्सप्लोसिव रिएक्ट करेगा.
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इतना ही नहीं इसके लिए एक टाइमर भी सेट किया जा सकता है, जिससे एक निश्चित वक्त पर ही स्मार्टफोन या पेजर में ब्लास्ट होगा.
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एक्सप्लोसिव को ट्रिगर करने के लिए मोशन, लोकेशन या प्रॉक्सिमिटी सेंसर का इस्तेमाल किया जा सकता है. इन एक्सप्लोसिव्स को किसी खास बटन पर भी सेट किया जा सकता है.
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इन एक्सप्लोसिव को फोन या पेजर जैसे डिवाइस में रखने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें गैर-जरूरी पार्ट को एक्सप्लोसिव से रिप्लेस कर देते हैं.
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इसके अलावा एक्सप्लोसिव को कुछ इस तरह से प्लांट किया जाता है कि ये डिवाइस के काम करने के तरीकों को प्रभावित ना करें.
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