जब AI ने शुरू किया अपना काम
Chandrayaan 3 आखिरकार चांद पर लैंड हो गया है. 40 दिनों का लंबा सफर पूरा करके Chandrayaan 3 चांद पर पहुंचा है, लेकिन इसकी सेफ लैंडिंग में AI का भी बड़ा रोल था.
दरअसल, चांद पर लैंडिंग से ठीक पहले के वक्त को 17 मिनट्स ऑफ टेरर कहते हैं. इन्हीं 17 मिनट्स में पिछली बार चंद्रयान-2 का मिशन फेल हुआ था.
इन 17 मिनट्स में इसरो कोई भी कमांड लैंडर को नहीं देता है. यहां शुरू हुआ AI का काम. इस दौरान लैंडिंग के लिए लैंडर को कई काम करने होते हैं.
उसे एल्टीट्यूड एडजस्टमेंट, थ्रस्टर्स को शुरू करना और चांद की सतह को स्कैन करना होता है, जिससे लैंडिंग के रास्ते में कोई बाधा ना आए. ये सभी काम AI की मदद से किए जाते हैं.
इस दौरान चंद्रयान-3 की टीम सिर्फ इस प्रॉसेस को मॉनिटर कर सकती है. लैंडिंग के इन आखिरी पलों में AI ही विक्रम लैंडर का सारथी था.
ISRO ने पहले ही कन्फर्म किया था कि लैंडर को मशीन लर्निंग की मदद से AI कंट्रोल करेगा. लैंडिंग से पहले सतह को स्कैन करने के लिए भी AI का इस्तेमाल किया गया.
AI एल्गोरिद्म का इस्तेमाल करके लैंडर हजार्ड डिटेक्शन और अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) लैंडिंग जोन को स्कैन करता है, जिससे लैंडिंग के रास्ते में आने वाली किसी रुकावट का पता लगाया जा सकता है.
इसके लिए कई सारे सेंसर और कैमरा का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा प्रज्ञान रोवर भी AI से कंट्रोल होता है, जिसकी मदद से कई सारे एक्सपेरिमेंट और सैंपल कलेक्ट किए जाएंगे.
रोवर में नेविगेशन कैमरा और Rx/Tx एंटीना का इस्तेमाल किया गया है. AI का इस्तेमाल करके रोवर लैंडिंग साइट से एलिमेंट्स को एनालाइज करेगा और इसकी डिटेल्स इसरो को मिलेगी.