13 Oct 2024
मुंबई में शनिवार देर रात एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. उनपर कई राउंड फायरिंग की गई. जिसमें उनके सीने और पेट में गोली लगीं.
सोशल मीडिया पोस्ट की मदद से आरोपी को पड़कना या ट्रैक करना कई बार काफी मुश्किल हो जाता है. क्रिमिनल्स अक्सर ऐसे कामों में फेक आईडी या दूसरे का अकाउंट हैक करके उसे यूज करते हैं.
बाबा सिद्दीकी की मौत के मामले में लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने फेसबुक पोस्ट के जरिए जिम्मेदारी ली थी, जिसकी जांच पुलिस कर रही है.
पुलिस डिजिटल फ़ुट प्रिंट्स को एनालाइज करके और पिछले मामलों के साथ इसे क्रॉस-रेफर करके इस दावे की रिएलिटी को चेक करेगी.
IP एड्रेस ट्रैस: जांच एजेंसियां ID एड्रेस की पहचान करके जांच शुरू करती हैं. इसकी मदद से डिवाइस की लोकेशन पता लगाया जाता है. हालांकि शातिर क्रिमिनल्स इसे हाइड करने के लिए VPN या Proxy का इस्तेमाल करते हैं.
एक्सपर्ट पोस्ट से जुड़े मेटा डेटा को एनालाइज करते हैं, जैसे समय, डिवाइस और ब्राउजर आदि की डिटेल्स हासिल करते हैं.
Facebook, X (Twitter), और Instagram जैसे प्लेटफार्मों को पुलिस के साथ कानूनी रिक्वेस्ट पर सहयोग करना जरूरी होता है. पुलिस अकाउंट के रजिस्टर्ड ईमेल, फोन नंबर और एक्टिविटी लॉग जैसी डिटेल्स मांगते हैं.
जांच एजेंसी टाइपिंग स्टाइल, लैंग्वेज और पोस्ट के समय को एनालाइज करते हैं. इसे पिछली पोस्ट से मिलान किया जाता है. जैसे बिश्नोई गैंग के मामलों में, उनकी जिम्मेदारी लेने के दावे की एक स्पेशल स्टाइल होता है.
जांच के दौरान कई तरह की चुनौतियां सामने आती हैं. यहां फर्जी या चोरी किए गए अकाउंट्स, चोरी किए गए डिवाइस आदि इस्तेमाल होते हैं.