आखिर क्या है वजह?
फ्रंस ने iPhone 12 की ब्रिकी पर बैन लगाया था. ये बैन SAR वैल्यू (स्पेसिफिक एब्जॉर्बशन रेट) ज्यादा होने की वजह से लगाई गई है.
यानी iPhone 12 से जरूर से ज्यादा रेडिएशन निकल रह था. फ्रांस की नेशनल फ्रीक्वेंसी एजेंसी का कहना है कि इस मॉडल से मंजूरी से ज्यादा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स निकल रही हैं.
एजेंसी ने कहा है कि कंपनी को इन्हें बेचना तुरंत ही बंद करना पड़ेगा. इसके लिए 141 फोन्स की SAR वैल्यू को टेस्ट किया गया था, जिसमें iPhone 12 भी शामिल था.
रिपोर्ट के मुताबिक जब ये पॉकेट में रखा होता है, तो इस फोन से 5.74 वॉट प्रति किलोग्राम की वेव्स निकलती है. EU में स्टैंडर्ड SAR 4.0 वॉट प्रति किलोग्राम है.
हालांकि, इस मामले में ऐपल का कहना है कि उनके फोन्स से उतनी ही इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स निकलती हैं, जितनी तय की गई है.
किसी भी फोन की SAR वैल्यू ये तय करती है कि उस फोन से इंसानों के शरीर पर कितना असर पड़ रहा है. इसकी वैल्यू EU ने यूजर्स की सेफ्टी के लिए तय की थी.
दरअसल, एक वक्त ऐसा था जब हर तरफ शोर था कि स्मार्टफोन यूज करने से कैंसर होता है. हालांकि, इसके कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले, लेकिन एजेंसियों ने स्मार्टफोन मैन्युफैक्चर्रस पर फिर भी लगाम लगाई.
इस लगाम के तहत SAR वैल्यू तय की गई. सभी स्मार्टफोन कंपनियों को अपने फोन्स की SAR वैल्यू की तय सीमा के अंदर रखना होता है.
हालांकि, ऐपल पर इसका ज्यादा असर नहीं पडे़गा. क्योंकि कंपनी ने iPhone 12 सीरीज को डिस्कंटीन्यू कर दिया है. दुनियाभर में इस फोन की 10 करोड़ से ज्यादा यूनिट्स यूजर्स ने खरीदी है.