AI कर रहा पता लगाने में मदद
AI का इस्तेमाल कॉपीराइटिंग और फोटो क्रिएट करने तक ही सीमित नहीं है. बल्कि इसका इस्तेमाल फर्जी लोगों को पकड़ने में भी किया जा रहा है.
दरअसल, Comptroller and Auditor General of India (CAG) कई मामलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर रहा है.
CAG ऐसे स्कूलों को पहचान कर रहा है, जो वास्तव में मौजूद नहीं हैं, लेकिन फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप क्लेम कर रहे हैं. AI का इस्तेमाल इस तरह के फर्जीवाड़ों को पकडने में किया जा रहा है.
कई मामलों में पाया गया है कि सरकारी योजनाओं को फायदा उठाने वाले कई लोग एक जैसी फोटोज ही यूज कर रहे हैं. SAI20 इंगेजमेंट ग्रुप समिट में CAG ने इसकी जानकारी दी है.
दिखाए गए एक मामले में बताया गया है कि किस तरह से AI की मदद से डुप्लीकेट, फर्जी और इन-एलिजिबल लोग डिजिटल साक्षरता अभियान (DISHA) का फायदा उठा रहे हैं.
इस प्रोग्राम में लाभार्थी को अपनी फोटोग्राफ अपलोड करनी होती है. CAG ने एक AI मॉडल डेवलप किया है, जो इन फोटोज को एनालाइज करने में मदद करता है.
AI सिस्टम की मदद से एक जैसी ईमेज, अलग-अलग तस्वीर और नॉन-ह्यूमन ईमेज को डिटेक्ट किया जा सकता है. इसकी मदद से एक जैसे फोटो यूज करके फायदा उठा रहे फर्जी लोगों को रोका जा सकता है.
इस मॉडल ने 92 परसेंट की एक्यूरेसी हासिल की है. इसका इस्तेमाल CAG ने ऐसे लाभार्थियों की पहचान करने में की है, जो इस स्कीम के लिए एलिजिबल नहीं हैं.
AI और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल PM-Kisan और Pradhan Mantri Awas Yojana जैसे प्रोग्राम की परफॉर्मेंस ऑडिट प्रॉसेस करने में किया जा रहा है.