साइबर फ्रॉड का नया मामला सामने आया है, जहां 45 साल के क्लिनिकल रिसर्चर के साथ 2.1 करोड़ रुपये का साइबर फ्रॉड हुआ. यह मामला पुणे का है.
यह मामला महाराष्ट्र के पुणे में होने वाले बड़े साइबर फ्रॉड के मामलों में से एक है. विक्टिम को फर्जी इनवेस्टमेंट के जाल में फंसाया. इसके बाद 2.1 करोड़ रुपये ठग लिए.
पुलिस ने इस मामले को दर्ज कर लिया और जांच शुरू कर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह पुणे में अब तक दर्ज सबसे बड़े साइबर फ्रॉड्स में से एक है.
दरअसल, विक्टिम लंबे समय से वर्क फ्रॉम होम कर रहा था. ऐसे में वह एक साइड बिजनेस या फिर इनवेस्टमेंट का प्लान बना रहा था.
एक दिन उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट नजर आया, जिसमें अमेरिका की जानी-मानी इनवेस्टमेंट कंपनी का नाम यूज़ किया. इसमें शेयर मार्केट को लेकर ऑनलाइन कोर्स का वादा किया.
इसके बाद उसने लिंक पर क्लिक किया. इसके बाद वह एक WhatsApp Group का हिस्सा बन गया. उस ग्रुप में कुछ ऑनलाइन क्लासेस के लिंक आते थे, जो एडमिन द्वारा शेयर किए जाते थे.
इसके बाद वॉट्सऐप ग्रुप में मौजूद लोगों को इनवेस्टमेंट करने के लिए उकसाया जाता था. इसके लिए एक खास प्लेटफॉर्म को इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती.
इसके बाद विक्टिम को मोबाइल में एक ऐप्लीकेशन इंस्टॉल करने को कहा. इस ऐप के जरिए विक्टिम ने एक बड़ी रकम इनवेस्टमेंट कर दी.
मोबाइल ऐप में विक्टिम को इनवेस्टमेंट अमाउंट और उस पर आने वाला रिटर्न रिफ्लेक्ट होता था. भरोसा होने के बाद उसने एक दिन 3 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए.
साइबर फ्रॉड का यह खेल कई दिनों तक चला. इस दौरान विक्टिम ने टोटल 2.15 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए. इसके लिए उसने प्रोपर्टी सेल कर दी और लोन भी लिया.
एक दिन ग्रुप के एडमिन ने विक्टिम से 4.33 करोड़ रुपये इनवेस्टमेंट करने को कहा. उस समय विक्टिम के पास रुपये नहीं थे, तो उसने मना कर दिया.
इसके बाद स्कैमर्स ने उसे बताया कि इनवेस्टमेंट ना करने पर, उसकी पुरानी रकम भी फ्रीज हो जाएगी. इसके बाद उसने वॉट्सऐप ग्रुप वाले नंबर पर कई बार कॉल किया.
कई बार कॉल करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद उसे पता चला कि वह साइबर फ्रॉड का शिकार हो गया है. फिर उसने पुलिस को इसकी जानकारी दी.