आम तौर पर सूरज चमकीला और सफेद रंग का ही दिखाई देते हैं.
हालांकि, सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त सूरज लाल रंग का दिखता है.
क्या आप जानते हैं कि सूरज के लाल रंग के दिखने की वजह क्या है.
इसकी वैज्ञानिक वजह प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) है.
सूरज से निकलने वाली किरणें सफेद रंग की ही दिखाई देती हैं. हालांकि, यह सफेद प्रकाश इंद्रधनुष के 7 रंगों से मिलकर बनता है.
प्रकाश वायुमंडल में गैस, धूल के कणों पर पड़ता है तो वो इसे सोखकर सभी दिशाओं में फैला देते हैं. इसे ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं.
Pic Credit: urf7i/instagramसूरज का प्रकाश जब धरती के वातावरण में दाखिल होता है तो यहां मौजूद कणों से टकराकर फैल जाता है.
Pic Credit: urf7i/instagramफिजिक्स के नियमों के मुताबिक, जिन रंगों की वेवलेंथ कम होती है, वे ज्यादा से ज्यादा फैलती हैं.
चूंकि, नीले रंग की वेवलेंथ लाल, नारंगी या पीले की तुलना में कम होती है, इसलिए वो पृथ्वी के वातावरण में ज्यादा फैलती है.
सूर्य का प्रकाश धरती के वातावरण में प्रवेश करते ही धूल के कणों से टकराकर बिखर जाता है. बिखरा हुआ प्रकाश नीले और बैंगनी रंग का होता है.
नीले रंग प्रकीर्णन बैंगनी की तुलना में कहीं ज्यादा होता है. यही वजह है कि आसमान का रंग अधिकांशत: नीला ही दिखाई देता है.
आसमान का नीला रंग दिखना प्रकाश के प्रकीर्णन (scattering of light) की वजह से होता है.
डूबते वक्त सूरज हमारी धरती के क्षैतिज से कुछ ऊपर होता है.
ऐसे में सूरज की किरणों को धरती तक पहुंचने में ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है.
लाल रंग की वेवलेंथ सबसे ज्यादा जबकि प्रकीर्णन सबसे कम होती है.
ऐसे में सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त आंखों में पहुंचने वाले प्रकाश में ज्यादा ज्यादा तीव्रता लाल रंग की होती है.
यही वजह है डूबते हुए सूरज का रंग लाल दिखाई देता है.