27 June 2024
एक ऐसी लक्ष्मण रेखा धरती पर बनी हुई है, जो दिखाई तो नहीं देती, लेकिन अपने अस्तित्व का अहसास करवाती है.
रामायण में लक्ष्मण रेखा के बारे में सुना होगा. इस रेखा को लक्ष्मण जी ने सीता जी की रक्षा के लिए बनाया था, जिसे कोई लांघ नहीं सकता था.
ठीक ऐसे ही प्रकृति के इस रेखा को लांघने की गलती न आकाश में उड़ता कोई पक्षी करता है और ना समुद्र में तैरने वाली मछलियां. यहां तक कि जमीन पर रहने वाले जानवर भी इस लकीर को पार नहीं करते.
इस रेखा के दोनों तरफ की दुनिया बिल्कुल अलग है. इंडोनेशिया के दो द्वीपों के बीच की यह रेखा, रियल भी है और वर्चुअल भी.
वालेस लाइन मलय द्वीपसमूह और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई द्वीपसमूह में रहने वाले जीवों को अलग करती है.
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लोमबोक आइलैंड के किनारों पर पाई जाने वाली मछलियां बाली में पाई जाने वाली मछलियों से एकदम अलग हैं. यानी महज 35 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद द्वीपों में अंतर महाद्वीपों जैसा था.
यहां की ecology एकदम अलग है. यहां आपको दिखेंगे marsupial mammals, komodo dragons, cockatoos जैसे जानवर.
वैज्ञानिक इसे biogeographic boundary कहते हैं. यानी जैव विविधता के दो ऐसे इलाकों का मिलन, जो एकदम अलग और बेहद अनोखे हैं.
इस लाइन को सबसे पहले 1859 में British naturalist Alfred Russel Wallace ने समझा था. लेकिन इस रेखा को नाम अंग्रेजी जीवविज्ञानी और मानवविज्ञानी T.H. Huxley ने दिया.