सर्दियों में इतना कोहरा आता कहां से है? समझिए पूरा साइंस
सर्दियों में कोहरा पड़ना आम बात है. इस समय उत्तर भारत के कई राज्य इसकी चपेट में हैं.
पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक कोहरे की मोटी चादर में ढके हुए हैं.
स्काईमेट वेदर में मेटियोरोलॉजी एंड क्लाइमेट चेंज के वाइस प्रेसिडेंट महेश पालावत ने एक ट्वीट किया.
ट्वीट में शेयर तस्वीर में दिख रहा है कि देश का कौन सा हिस्सा कोहरे में कितना घिरा हुआ है.
जिन इलाकों में ज्यादा कोहरा पड़ने की आशंका है, उसे लाल घेरे से घेर दिया. सवाल ये है कि कोहरा बनता कैसे हैं?
जब पानी से निकली भाप अपने गैस फॉर्म में गाढ़ी हो जाती है, तो वह कोहरे की तरह दिखती है.
यानी हवा में पानी के बेहद छोटे-छोटे कण तैरते रहते हैं. आप असल में इन्हीं पानी की छोटी बूंदों को देखते हैं.
गैस तो दिखती नहीं, लेकिन जब वह गाढ़ी होती है, तो आपको दिखने लगती है. भाप के साथ भी ऐसा ही होता है.
जब जलस्रोतों के ऊपर सर्द हवा हल्के गर्म नमी वाली हवा से मिलती है, तब नमी वाली हवा ठंडी होने लगती है.
इस वक्त ह्यूमिडिटी 100 फीसदी पहुंच जाती है. तब जाकर कोहरा यानी फॉग बनने लगता है.
हालांकि, अब इस कोहरे में धुआं और प्रदूषण वाली जहरीली हवा मिलती है, तो वह स्मॉग भी कहते हैं.
इसकी स्मॉग की वजह से लोगों को सांस और फेफड़ों संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं.
अगर कोहरे में ज्यादा देर सांस लेते हैं, तो आपके नाजुक फेफड़ों में सर्दी लग सकती है.
आपके फेफड़ों में नमी वाली हवा जाती है. गीली-गीली सी. इसकी वजह से आपको खांसी, छींक, जुकाम हो सकता है.
जिनकी इम्यूनिटी कम है, उन्हें दिक्कत ज्यादा हो सकती है. इस पर ध्यान नहीं देने पर खांसी के दौरे आ सकते हैं.
अगर कोहरे के साथ प्रदूषण मिलकर स्मोग बन रहा है तो सतर्क हो जाइए. क्योंकि उसमें सल्फर की मात्रा बढ़ जाती है.
सल्फर डाईऑक्साइड कोहरे में मिलकर आपके फेफड़ों को सीज करने लगते हैं. इससे आपको दमा हो सकता है.