17 Dec 2022 By. Aajtak.in

फिंगरप्रिंट गायब होने की बीमारी! जिंदगी हो जाएगी मुश्किल

चाहे अपराधी को पकड़ना हो, या खोए हुए बच्चे की पहचान, फिंगरप्रिंट हमेशा ही काम आता रहा. 

Pic Credit: urf7i/instagram

एक बीमारी ऐसी भी है, जिसमें मरीज की हथेलियों पर कोई निशान नहीं होगा. दरअसल, एड्रमेटोग्लीफिया एक जेनेटिक बीमारी है.

Pic Credit: urf7i/instagram

कई ऐसे मामले आने के बाद डॉक्टर सक्रिय हो गए और देखने लगे कि कुछ लोगों के साथ ये क्यों हो रहा है, तभी एड्रमेटोग्लीफिया बीमारी का पता लगा. 

Pic Credit: urf7i/instagram

ये एक रेयर जेनेटिक डिसीज है, जिसमें ऊंगलियों पर बारीक लकीरें नहीं होतीं. बीमारी का एक नुकसान ये भी है कि इससे पसीना लाने वाली ग्रंथियां घट जाती हैं. 

Pic Credit: urf7i/instagram

इससे ठीक से पसीना नहीं आ पाता, जो अपने-आप में अलग समस्या है. तापमान बदलने पर इसके मरीज को काफी दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे हीट स्ट्रोक. 

Pic Credit: urf7i/instagram

लगभग पूरी दुनिया में फिंगरप्रिंट को नेचुरल पहचान के तौर पर जाना जाता है. तो इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि पहचान का मसला जगह-जगह अटक जाता है. 

Pic Credit: urf7i/instagram

नौकरी मिलने में समस्या से लेकर दूसरे देश जाने में समस्या होती है. यही वजह है कि इस बीमारी को इमिग्रेशन डिले डिसीज भी कहते हैं. फिंगरप्रिंट बिना पहचान मुश्किल है. 

Pic Credit: urf7i/instagram

दुनिया में किन्हीं भी दो लोगों के फिंगरप्रिंट मैच नहीं करते. एक समान दिखने और लगभग क्लोन की तरह लगने वाले भी ऐसे जुड़वा बच्चों के भी अंगुलियों के पोर अलग-अलग होते हैं.

Pic Credit: urf7i/instagram

कुल मिलाकर दुनिया में किसी का भी फिंगरप्रिंट किसी से मैच नहीं करता है. या अगर ऐसा होगा भी तो 64 बिलियन में किन्हीं दो लोगों का. तो फिलहाल इसकी संभावना नहीं दिखती है. 

Pic Credit: urf7i/instagram