फिंगरप्रिंट गायब होने की बीमारी! जिंदगी हो जाएगी मुश्किल
चाहे अपराधी को पकड़ना हो, या खोए हुए बच्चे की पहचान, फिंगरप्रिंट हमेशा ही काम आता रहा.
एक बीमारी ऐसी भी है, जिसमें मरीज की हथेलियों पर कोई निशान नहीं होगा. दरअसल, एड्रमेटोग्लीफिया एक जेनेटिक बीमारी है.
कई ऐसे मामले आने के बाद डॉक्टर सक्रिय हो गए और देखने लगे कि कुछ लोगों के साथ ये क्यों हो रहा है, तभी एड्रमेटोग्लीफिया बीमारी का पता लगा.
ये एक रेयर जेनेटिक डिसीज है, जिसमें ऊंगलियों पर बारीक लकीरें नहीं होतीं. बीमारी का एक नुकसान ये भी है कि इससे पसीना लाने वाली ग्रंथियां घट जाती हैं.
इससे ठीक से पसीना नहीं आ पाता, जो अपने-आप में अलग समस्या है. तापमान बदलने पर इसके मरीज को काफी दिक्कतें हो सकती हैं, जैसे हीट स्ट्रोक.
लगभग पूरी दुनिया में फिंगरप्रिंट को नेचुरल पहचान के तौर पर जाना जाता है. तो इस बीमारी का सबसे बड़ा नुकसान यही है कि पहचान का मसला जगह-जगह अटक जाता है.
नौकरी मिलने में समस्या से लेकर दूसरे देश जाने में समस्या होती है. यही वजह है कि इस बीमारी को इमिग्रेशन डिले डिसीज भी कहते हैं. फिंगरप्रिंट बिना पहचान मुश्किल है.
दुनिया में किन्हीं भी दो लोगों के फिंगरप्रिंट मैच नहीं करते. एक समान दिखने और लगभग क्लोन की तरह लगने वाले भी ऐसे जुड़वा बच्चों के भी अंगुलियों के पोर अलग-अलग होते हैं.
कुल मिलाकर दुनिया में किसी का भी फिंगरप्रिंट किसी से मैच नहीं करता है. या अगर ऐसा होगा भी तो 64 बिलियन में किन्हीं दो लोगों का. तो फिलहाल इसकी संभावना नहीं दिखती है.