26 June
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इस साल भी कई शहरों में गर्मी और हीटवेव ने रिकॉर्ड तोड़े हैं. ऐसे में सवाल है कि किस हद तक हमारा शरीर हीटवेव और गर्मी बर्दाश्त कर सकता है? आइए जानते हैं.
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इसका जवाब देते हुए लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. कौसर उस्मान ने बताया कि गर्मी सहने की क्षमता हर इंसान की इम्यूनिटी पर निर्भर करती है.
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डॉ. कौसर का कहना है कि 107 फेरेनहाइट तापमान के ऊपर सर्वाइवल मुश्किल है. यानी करीब 42 डिग्री सेल्सियस.
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अगर इंसान लगातार इतने तापमान में रहता है, तो उसका मेटाबॉलिज्म खराब हो जाएगा. शरीर को सुरक्षित रखने वाले एंजाइम निकलना बंद हो जाएंगे. अंत में मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाएगा.
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ऐसे में कैसे बर्दाश्त कर रहे हैं हम सब ये तापमान? डॉक्टर्स का कहना है कि इंसान के शरीर में मौजूद होमियोस्टेसिस बॉडी टेंपरेचर को एक लिमिट में रखने के लिए कंट्रोल करता है.
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पसीना आना और मुंह से सांस लेना या ताजी हवा के लिए खुली जगहों पर जाने की इच्छा, ऐसे तरीके हैं जिनके माध्यम से इंसान के मस्तिष्क में मौजूद हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है.
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एक स्वस्थ इंसान के शरीर का टेंपरेचर कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि बाहर का तापमान, ह्यूमिडिटी और ऑक्सीजन.
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अगर ह्यूमिडिटी 50 प्रतिशत से कम है, तो हमारा शरीर बहुत अधिक गर्म मौसम की स्थिति को झेल सकता है.
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ह्यूमिडिटी जितनी अधिक होगी, उतना ही अधिक गर्म महसूस होगा और अधिक पसीना बहेगा. यही पसीना शरीर के तापमान को कंट्रोल करता है.
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हीटवेव से बचने के लिए मौसम विभाग के अलर्ट के हिसाब से बाहर निकलें. बहुत जरूरी है तभी बाहर निकलिए.
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