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अफ्रीका में इतनी गर्मी... सूख गई जमीन, जानवर और इंसान, देखें Photos

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24 Sep 2024

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1981 के बाद इस साल फरवरी का महीना जिम्बॉब्वे में सबसे सूखा था. इसका असर बोत्सवाना और अंगोला के कुछ इलाकों में भी हुआ. मलावी और मोजाम्बीक के इतिहास में तीन सबसे सूखे महीनों में से ये एक था.

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जाम्बिया, मलावी, जिम्बॉब्वे, माली, बोत्सवाना, अंगोला, मोजाम्बीक जैसे अफ्रीकी देश पिछले चार दशक का सबसे भयानक सूखा झेल रहे हैं.

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इस साल इस सूखे की शुरूआत फरवरी महीने से हुई. जो अब तक चल ही रही है. बारिश हुई ही नहीं. वजह बताई जा रही है अल नीनो प्रभाव. इसकी वजह से इतने लंबे समय तक सूखा बना हुआ है. 

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वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह का सूखा 10 साल में एक बार आता है. लेकिन अल-नीनो की वजह से इसके आने और लंबे समय तक टिके रहने की आशंका दोगुनी हो जाती है.

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इसी तरह के मौसम का असर यूरोपियन देशों में भी पड़ा था. नीदरलैंड्स, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम ने इस साल अल नीनो की वजह से भयानक सूखे का सामना किया है. 

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इसलिए वैज्ञानिकों ने स्टडी शुरू की ताकि यह पता चल सके कि अल नीनो से किस महाद्वीप पर किस तरह का असर हुआ है या हो रहा है. 

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अफ्रीकी देशों में अल नीनो की वजह से बारिश नहीं हुई. गर्मी ज्यादा रही. सूखा पड़ गया. फसलें हुईं नहीं. जो थीं वो खत्म हो चुकी हैं. नदियां सूख गईं. पानी के अन्य स्रोत सूख गए. पानी की भयानक किल्लत चल रही है. 

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नदियां, इंसान, जानवर सब सूखते चले जा रहे हैं. इस तरह के मौसम की वजह से अफ्रीका के कृषि क्षेत्र को भयानक नुकसान हुआ है. अफ्रीकन हॉर्न और दक्षिणी अफ्रीकी देशों की तो हालत बहुत ही ज्यादा खराब है. 

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पूरे महाद्वीप में खाद्य सुरक्षा पर खतरा पनप रहा है. अगली बारिश का इंतजार हो रहा है. जिम्बॉब्वे में अचानक फरवरी में पड़े सूखे की वजह से पूरे देश में फसल खराब हो गई. पूरे महाद्वीप में दालों की कमी हैं.