26 June 2025
aajtak.in
27 जून से पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का शुभारंभ होने जा रहा है. हर साल इस यात्रा को एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है.
यह भव्य आयोजन भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा को समर्पित है.
वहीं, पुराणों के मुताबिक, जगन्नाथ पुरी से मां लक्ष्मी का संबंध भी बताया गया है. नारद पुराण में जगन्नाथ पुरी को श्रीक्षेत्र कहा गया है, जिसमें श्री का असली मतलब मां लक्ष्मी से जुड़ा है.
कहते हैं कि मां लक्ष्मी इस मंदिर में पूरे वैभव के साथ विराजती हैं जिसके कारण इस मंदिर का रत्न भंडार कभी खाली नहीं होता है.
परंतु, इस मंदिर से जुड़ी एक ऐसी कथा भी प्रचलित है जिसमें यह बताया है कि एक बार मां लक्ष्मी के जगन्नाथ धाम छोड़ते ही यहां का पूरा धन भंडार खाली हो गया था.
कथा कुछ इस प्रकार है, पुरी में श्रिया नाम की एक महिला रहती थी, जो कि निम्न जाति से थी. वह मां लक्ष्मी की सच्ची भक्त थी. फिर भी श्रिया आर्थिक रूप से गरीब थी लेकिन उसकी आस्था और संकल्प बहुत मजबूत थे.
एक बार श्रिया ने मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए अष्टलक्ष्मी व्रत करे, लेकिन वह इस व्रत की विधि नहीं जानती थी. जब भी वह किसी पुजारी से व्रत की विधि पूछती तो उसे उसकी जाति के कारण दुत्कार दिया जाता.
एक दिन नारद मुनि संत का रूप लेकर श्रिया के घर पहुंचे और उसे बताया कि साफ-सफाई और सरल पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
श्रिया ने भी वैसा ही किया और उस दिन उसने उपवास रखा, खीर बनाई, देवी को भोग लगाया और आरती की. उसी शाम आरती के समय एक घूंघट वाली महिला उसके घर आई और प्रसाद के बदले एक पोटली दी. जब महिला का घूंघट हटा तो वह स्वयं देवी लक्ष्मी थीं.
देवी लक्ष्मी की कृपा से श्रिया की पोटली में हीरे-जवाहरात और सोना-चांदी निकले. जब देवी लक्ष्मी वापस श्रीमंदिर लौटीं तो बलभद्र नाराज हो गए और उन्होंने लक्ष्मी को मंदिर से बाहर निकलने का आदेश दे दिया.
जिसके कारण मां लक्ष्मी ने क्रोध में आकर भगवान जगन्नाथ और बलभद्र जी को ये श्राप दिया कि जब तक ये किसी निम्न जाति वाले के हाथ से भोजन नहीं करेंगे तब तक उन्हें अन्न नहीं मिलेगा.
मां लक्ष्मी के मंदिर से जाते ही रत्न भंडार खाली हो गया, मंदिर की शोभा चली गई, सबकुछ बर्बाद हो गया. इसके बाद बलभद्र जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने भगवान से माता लक्ष्मी को पुनः वापस लाने की प्रार्थना की. फिर, जब देवी लक्ष्मी वापस लौटीं, तभी मंदिर का वैभव वापिस आया.