18 July 2025
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सावन आते ही भारत के कोने-कोने से शिवालयों में बज रही घंटियों की मधुर ध्वनि गूंजने लगती है. भोलेनाथ के भक्त जल, दूध और बेलपत्र उनके चरणों में समर्पित करते हैं.
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सावन में शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने की पुरानी परंपरा रही है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बेलपत्र शिवजी को शीतलता प्रदान करता है.
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पुराणों में कहा गया है कि बेलवृक्ष की उत्पत्ति देवी लक्ष्मी के तप से हुई थी, इसलिए इसे शुभ माना जाता है.
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लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शिवलिंग पर केवल तीन पत्तियों वाला बेलपत्र ही क्यों चढ़ाया जाता है?
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बेलपत्र की तीन पत्तियां सामान्य नहीं हैं. इन्हें त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना गया है. जब ये तीन पत्तियां एक ही डंठल से जुड़ी होती हैं, तो यह त्रिगुणों को भी दर्शाती हैं .
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यह त्रिगुण सत्व (ज्ञान और शांति), रजस (क्रिया और ऊर्जा), तमस (स्थिरता और ज्ञान) का भी प्रतीक है. शिव लिंग पर इसको अर्पित करना शिव जी को लोक में सर्वोच्च मानने का संकेत है.
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जब बेलपत्र शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है, तो यह केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक गहरा दर्शन है कि संपूर्ण सृष्टि के गुण और शक्तियाँ भी अंततः शिव को समर्पित हैं.
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बेलपत्र अर्पित करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. पत्रों पर कोई कट या फटाव न हो. पत्रों के साथ डंठल भी होना आवश्यक है. "ॐ नमः शिवाय" का जप करते हुए अर्पित करें.
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