कौन हैं महाअवतार 'नरसिम्हा' और क्या है इनका भगवान विष्णु से संबंध?

27 July 2025

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'महा अवतार नरसिम्हा' 25 जुलाई को सिनेमाघर में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म को डायरेक्टर अश्विन कुमार ने डायरेक्ट किया है.

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फिल्म में भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिम्हा का खतरनाक स्वरूप दिखा रहा है और साथ ही, भगवान विष्णु के प्रति भक्त प्रह्लाद की असीम भक्ति को दर्शा रहा है.

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पुराणों के मुताबिक, भगवान विष्णु को इस जगत का जगद्गुरु कहा जाता है और भगवान नरसिम्हा भगवान विष्णु के ही अवतार माने जाते हैं जिन्होंने अपने प्रिय भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए राक्षस हिरण्यकश्यप का वध किया था.

कौन हैं भगवान नरसिम्हा?

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विष्णु पुराण के मुताबिक, भगवान नरसिम्हा भगवान विष्णु के अवतारों में से चौथे अवतार हैं. वे आधे सिंह और आधे मानव के स्वरूप में प्रकट हुए थे. उनका अवतार धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए हुआ था.

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हिरण्यकश्यप एक असुर था जिसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था. उस वरदान के कारण उसे न दिन में, न रात में, न मानव द्वारा, न पशु द्वारा, न किसी अस्त्र से, न शस्त्र से, न अंदर, न बाहर, न आकाश में, और न पृथ्वी पर मारा जा सकता था.

कैसे अवतरित हुए थे भगवान नरसिम्हा

वरदान के कारण हिरण्यकश्यप बहुत ही अहंकारी हो गया था और स्वयं को अमर समझकर देवताओं और लोगों पर अत्याचार करने लगा था.

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वहीं, हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था. वह अपने पिता के विपरीत धर्म का पालन करता था और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहता था. 

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हिरण्यकश्यप ने उसे विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए बहुत यातनाएं दीं, लेकिन प्रह्लाद अडिग रहा. तो एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि उसका विष्णु कहां हैं तो प्रह्लाद ने उत्तर देते हुए कहा कि, 'विष्णु हर जगह हैं, वे इस खंभे में भी हैं.'

यह सुनकर हिरण्यकश्यप ने खंभे पर प्रहार किया. उसी समय खंभे से भगवान विष्णु नरसिम्हा के रूप में प्रकट हुए.

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भगवान नरसिम्हा ने संध्या के समय (न दिन, न रात), राजमहल के दरवाजे पर (न अंदर, न बाहर), हिरण्यकश्यप को अपनी जांघों पर रखकर अपने नखों (न अस्त्र, न शस्त्र) से मार डाला. जिसके बाद भगवान नरसिम्हा ने प्रह्लाद को आशीर्वाद दिया और धर्म की स्थापना की.