19 Apr 2025
Aajtak.in
सनातन परंपरा के अनुसार, तिलक लगाना सम्मान और गौरव का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि माथे पर तिलक लगाने से व्यक्ति के दिल और दिमाग में सकारात्मक भाव आते हैं.
तिलक लगाने से जीवन में यश बढ़ता है और पापों का नाश होता है. साथ ही, जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
इससे मन में अच्छे विचार आते हैं और किसी भी काम को करने की क्षमता को हम कई गुना तक बढ़ा सकते हैं. मान्यता के अनुसार, मस्तक पर तिलक लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है और सेहत अच्छी बनी रहती है.
आइए जानते हैं कि तिलक लगाते समय किस उंगली का क्या महत्व होता है, कौन-सी उंगली से तिलक लगाना शुभ माना गया है.
अंगूठे का संबंध शुक्र ग्रह से होता है और शुक्र ग्रह यश और धन-वैभव के कारक माने जाते हैं. पहले भी जब राजा युद्ध पर जाते थे तो रानियां अंगूठे से ही राजा के मस्तक पर विजय तिलक करती थीं. किसी की मंगल कामना के लिए अंगूठे से तिलक करना चाहिए.
कहा जाता है कि इस उंगली का प्रयोग केवल मृत व्यक्ति को तिलक लगाने के लिए किया जाता है, ताकि मृतक की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो.
मध्यमा उंगली को शास्त्रों में बहुत महत्व दिया गया है. शास्त्रों के अनुसार, जब आप खुद को तिलक लगाते हैं तो इसे मध्यमा उंगली से ही लगाना चाहिए. यह आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आंतरिक शांति की प्राप्ति होती है.
इस उंगली को आम भाषा में रिंग फिंगर भी कहा जाता है. इस उंगली से भगवान, गुरु या किसी अन्य व्यक्ति की मंगल कामना के लिए तिलक करना चाहिए. यह मानसिक शक्ति को प्रबल बनाता है, क्योंकि इस उंगली का संबंध सीधा सूर्य से होता है.
कनिष्ठा यानी सबसे छोटी उंगली जिसका उपयोग तिलक लगाने में नहीं किया जाता है, यहां तक कि किसी भी शुभ कार्य में इस उंगली का प्रयोग वर्जित बताया गया है.