14 Apr 2025
Aajtak.in
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए कई नियम बताए हैं. वहीं वास्तु शास्त्र में भी पूजा घर से लेकर पूजा-पाठ के नियम व दिशा बताए गए हैं. इन नियमों का पालन करने से पूजा सफल होती है और घर पर सुख-समृद्धि आती है.
हर घर पर देवी-देवताओं की पूजा के लिए एक विशेष स्थान, पूजाघर या मंदिर बना होता है. यह घर का सबसे पवित्र स्थान होता है.
पूजाघर में देवी-देवताओं की नियमित पूजा भी की जाती है. इसलिए यह बेहद जरूरी हो जाता है कि इस पवित्र स्थान पर किसी तरह का कोई दोष न हो.
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजाघर में दोष होने से कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है.
पूजाघर में रखी हुई खंडित मुर्ती या तस्वीर अशुभ मानी जाती है. अगर मूर्ति या तस्वीर में छोटा सा भी टूटा-फूटा निशान हो या फिरकई जगह से टूट गई है तो उसे तुरंत ही मंदिर से हटा देना चाहिए.
गुरुवार के दिन इसे पीपल के पेड़ के नीचे या बहती नदी में प्रवाहित करना सबसे अच्छा उपाय माना जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सकारात्मकता आती है।
पूजाघर में हम पूजा-पाठ से जुड़ी कई सामग्री रखते हैं. इन्हीं में एक है माचिस की डिब्बी, जिसका इस्तेमाल दीप, धूप या अगरबत्ती जलाने में किया जाता है. लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजाघर में माचिस की डिब्बी रखने को बहुत अशुभ बताया गया है.
पूजाघर में माचिस की डिब्बी रखने से घर पर नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. पूजाघर पवित्र स्थान होता है, ऐसे में इस पवित्र स्थान पर ज्वलनशील सामग्री रखना अशुभ माना जाता है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार मंदिर में मुरझाए हुए फूल रखने से घर में नाकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. इसलिए रोजाना मंदिर में ताजे फूल रखना चाहिए और जैसे ही फूल पुराने हो जाए या मुरझा जाए तो उन्हें वहां से हटा दें. मुरझाए हुए फूल घर में अशांति को पैदा करते हैं.
पूजाघर में केवल देवी-देवताओं की मूर्तियां या तस्वीरें होनी चाहिए. पूर्वजों की तस्वीरें वहां न लगाएं, क्योंकि इससे मंदिर की पवित्रता भंग होती है और वास्तु के अनुसार यह शुभ नहीं माना जाता.