22 July 2025
Credit: AI Generated
घर का मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं होता, बल्कि वह सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र होता है. जिस प्रकार हम अपने शरीर-घर की स्वच्छता का ध्यान रखते हैं, उसी प्रकार मंदिर की साफ-सफाई भी पूरे नियमों के साथ करना चाहिए.
लेकिन, कई बार अनजाने में ऐसी गलतियां हो जाती हैं, जो पवित्रता को भंग कर सकती हैं और घर में नकारात्मक असर ला सकती हैं. ऐसे में जानते हैं मंदिर की सफाई करते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.
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धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, मंदिर की सफाई करने से पहले शारीरिक शुद्धि आवश्यक होती है. बिना स्नान किए पूजा स्थल की सफाई करना अशुभ होता है, इससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है.
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मंदिर में रखी मूर्तियां अत्यंत पवित्र मानी जाती हैं और जूठे या गंदे हाथों से उन्हें छूना धार्मिक दृष्टि से अनुचित है. इसलिए, हमेशा हाथ धोकर और सूखे हाथों से ही मूर्तियों को छूएं.
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मंदिर की फर्श और मूर्तियों के लिए एक ही वस्त्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इससे मूर्तियों की पवित्रता भंग होती है.
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मंदिर में शांति और एकाग्रता का वातावरण होना चाहिए. सफाई के समय भी शांति के वातावरण में कार्य करें ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे.
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मंदिर के फूल, माला, दीपक की राख आदि को सीधे कूड़ेदान में कभी भी फेंकना नहीं चाहिए. बल्कि, उन्हें वृक्ष के नीचे या नदी में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है.
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मंदिर की मूर्ति या फोटो की ओर झाड़ू लगाना अपशकुन माना जाता है, ऐसा करने से घर में दरिद्रता का वास होता है. इसलिए, झाड़ू हमेशा मूर्तियों की विपरीत दिशा में ही लगानी चाहिए.
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मंदिर की सफाई के बाद द्वार खुला नहीं छोड़ना चाहिए. बल्कि, सफाई के बाद एक दीपक जरूर जलाएं.
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