माता-पिता अपने बच्चों से ये उम्मीद रखते हैं कि उनका बच्चा आगे चलकर परिवार का नाम रौशन करे.
अगर परवरिश की नींव अच्छे संस्कारों के साथ रखी जाएगी, तो निश्चित तौर पर आपका बच्चा आगे चलकर सही राह चुनेगा.
इसके लिए ये जरूरी है कि मां-बाप अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी से पालन करें और बच्चे की देखरेख में बेहद सावधानी बरतें.
आचार्य चाणक्य का भी कुछ ऐसा ही मानना था. उन्होंने भी बच्चों के भविष्य के निर्माण में उसके माता-पिता की भूमिका को बहुत बड़ा माना है.
बच्चे की परवरिश को लेकर तमाम बातें कही हैं, जिन्हें हर माता-पिता को याद रखना चाहिए.
एक बच्चा सबसे ज्यादा अपने आसपास के माहौल को देखकर सीखता है. आप चाहे उसे कुछ भी सिखाएं, लेकिन वो वही काम करेगा, जो उसके आसपास किया जाता है.
अगर आप अपने बच्चे को शांत और सौम्य बनाना चाहते हैं, तो घर के माहौल को भी शांत रखें.
बच्चे अपने माता-पिता का अनुसरण करता हैं. उसके माता-पिता उसके सामने जैसा आचरण करते हैं, वो भी उसी को फॉलो करता है.
इस बात का खयाल हर मां-बाप को रखना चाहिए. आपस में एक दूसरे को पूरा सम्मान दें, अपनी वाणी को मधुर और विनम्र बनाएं.
हर बच्चे में अलग-अलग तरह का टैलेंट और क्षमता होती है. ऐसे में उसकी किसी अन्य बच्चे से तुलना न करें. बच्चे के टैलेंट को समझने का प्रयास करें और उसे प्रेरित करें.
यदि आपका बच्चा किसी भी क्षेत्र में दक्षता लेकर आएगा तो उसके अंदर एक सकारात्मकता आएगी. इसके कारण वो बाकी चीजों को भी आसानी से करने लगेगा.