29 June 2025
aajtak.in
महाभारत और रामायण में अनेक कथाओं का वर्णन मिलता है जो हमें जीवन की महत्वपूर्ण सीख देने के साथ-साथ आश्चर्यचकित भी करती हैं.
रामायण का युद्ध त्रेतायुग में और महाभारत का युद्ध द्वापर युग में हुआ था. वहीं, रामायण और महाभारत में कई ऐसे योद्धाओं का भी जिक्र मिलता है जो समय की सीमाओं को लांघते हुए दोनों महाकाव्यों में नजर आए.
भगवान परशुराम का वर्णन रामायण और महाभारत दोनों महाकाव्यों में मिलता है. रामायण में परशुराम जी माता सीता के स्वयंवर में राम जी के धनुष तोड़ने पर पधारे थे.
वहीं, महाभारत में परशुराम भीष्म और कर्ण के गुरु थे, उन्होंने दोनों को दिव्यास्त्रों का ज्ञान दिया था. ऐसा भी कहा जाता है कि श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र परशुराम जी ने ही सौंपा था.
राम भक्त हनुमान जी रामायण के प्रमुख पात्र थे और इनका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है. मां सीता की खोज से लेकर लंका दहन तक, उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही थी.
वहीं, महाभारत में हनुमान जी की भेंट भीम से होती है. साथ ही, महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ के ध्वज पर भी हनुमान जी विराजमान थे.
रामायण के मुख्य पात्र में से एक हैं जामवंत और इन्होंने श्रीराम जी की सेना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. हनुमान जी को उनकी शक्ति याद दिलाने वाले भी जामवंत ही थे.
वहीं, महाभारत काल में श्रीकृष्ण से जामवंत का युद्ध कृष्ण जी से लगातार 8 दिनों तक चला था और फिर जामवंत ने अपनी बेटी जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण से करवाया था.
महर्षि दुर्वासा सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर तीनों युग में उपस्थित थे. रामायण में लक्ष्मण जी ने दुर्वासा जी की वजह से श्रीराम को दिया गया वचन तोड़ा था. वहीं, महाभारत में महर्षि दुर्वासा ने कुंती को संतान प्राप्ति का वरदान दिया था.
रामायण में रावण के भाई विभीषण को रावण की मृत्यु के बाद लंका का राजा बनाया गया था. लेकिन, बहुत ही कम लोग इस बात से भी परिचित हैं कि वे महाभारत में भी थे. दरअसल, घटोत्कच महाभारत में पांडवों के समर्थन के लिए विभीषण का समर्थन पाने गए थे.