18 apr 2025
aajtak.in
वृंदावन-मथुरा के प्रेमानंद जी महाराज जीवन और अध्यात्म से जुड़े कई विषयों पर अपने उपदेश देते हैं. वहीं, प्रेमानंद महाराज ने पितृ दोष के संकेतों के बारे में भी बताया.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जिस भक्ति में कर्मकांड या अनुष्ठान आ जाए उस भक्ति का कोई फायदा नहीं है. बल्कि, ईश्वर के प्रति समर्पण ही सच्ची भक्ति है.
आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि अगर आप तावीज पहनना जैसे कर्मकांडों को बढ़ावा देंगे तो उन लोगों को भी पितृ दोष लग सकता है.
इसके अलावा प्रेमानंद महाराज ने बताया कि, ' अगर कोई व्यक्ति अपने पितरों का अपमान करता है या अपने गौ हत्या का पाप लेता है तो उससे पितृ दोष लगता है.'
इस तरह के दिखावे वाले अनुष्ठान या प्रथाएं भक्ति नहीं कहलाती है बल्कि यह व्यक्ति को जीवन में नकारात्मक परिणाम दे सकता है.
आगे प्रेमानंद महाराज बताते हैं ईश्वर के प्रति ईमानदारी वाली भक्ति ही व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ देती है.
प्रेमानंद महाराज के मुताबिक, जो भक्त ईमानदारी से भगवान का नाम जपते हैं और सच्ची भक्ति में लगे रहते हैं, वे सभी खतरों से सुरक्षित रहते हैं, उन्हें किसी तरह का दोष नहीं लगता है.
ईश्वर के प्रति भक्ति जीवन से हर तरह के दोष जैसे पितृ दोष और शनि दोष आदि को समाप्त कर सकती है.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि भौतिक सुखों को त्यागकर अगर ईश्वर के प्रति भक्ति दिखाई जाए, साथ ही ईश्वर में परम शरण पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो ये एक उपाय व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर लेकर जा सकता है.