भगवान शिव का 1000 साल पुराना वो मंदिर, जिसे लेकर छिड़ी थाईलैंड-कंबोडिया में जंग

24 July 2025

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वर्ष 2025 पूरी तरह से युद्ध के नाम रहा है. भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध के बाद ईरान और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ गया.

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अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लड़ाई शुरू हो गई. 24 जुलाई की सुबह से ही दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरी पर बड़े हमले कर रही है.

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एक तरफ जहां कंबोडिया ने थाईलैंड के सीमावर्ती इलाकों में रॉकेट से हमले किए. वहीं, जवाबी कार्रवाई में थाईलैंड की सेना ने भी कंबोडिया के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए.

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस युद्ध की वजह एक प्राचीन मंदिर है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच आपसी टकराव बढ़ गया है.

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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच युद्ध की वजह 11वीं सदी का प्रीह विहिहर मंदिर है. यह मंदिर कंबोडिया के प्रीह विहार प्रांत और थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत की सीमा पर स्थित है.

शिव मंदिर है युद्ध की वजह

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1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यानी (ICJ) ने फैसला दिया कि ये मंदिर कंबोडिया का है. हालांकि मंदिर के आस-पास की 4.6 वर्ग किलोमीटर जमीन पर दोनों ही देश अपना दावा करते हैं.

थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही इस जमीन पर अपना अधिकार जमाते हैं. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को  11वीं सदी में खमेर सम्राट सूर्यवर्मन ने बनवाया था.

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लेकिन वक्त के साथ यह मंदिर सिर्फ आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद, राजनीति और सैन्य ताकत का अखाड़ा भी बन गया है.

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मंदिर में आज भी एक शिवलिंग है, जो आस्था का बड़ा केंद्र है. यहां भगवान शिव के द्वारपाल भी देखे जा सकते हैं, जो भक्तों की मनोकामना को शिवजी तक पहुंचाने का काम करते हैं.

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