कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई या निंदा सुनने में बहुत ही दिलचस्पी दिखाते हैं.
स्वामी प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में बताया है कि दूसरों की बुराई सुनने वालों को क्या ध्यान में रखना चाहिए.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की निंदा होने लगे तो नजदीक जाकर सुनने में दिलचस्पी लेते हैं.
उस इंसान को भगवत चर्चा के दौरान कभी चेतना नहीं आती है. लेकिन दूसरों की बुराई सुनते हुए बड़ा सुख लेता है. ऐसा लगता है जैसे उसे किसी बड़े पद से सुशोभित किया जा रहा है.
उस इंसान को किसी की निंदा सुनने में कभी भी नींद नहीं आएगी. फिल्म देखने में भी नींद नहीं आएगी. यह प्रवृति खुला प्रपंच है.
महाराज जी कहते हैं जहां पर हम जानते हैं कि जो फिल्म दिखाया जाएगा वो पूरी तरह झूठ है. लेकिन फिर भी पैसा देकर हम उसे देखते हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि पैसा देकर झूठ को देखना और आनंदित होना मूर्खता की पराकाष्ठा है.
वो कहते हैं कि तीन घंटा खुद को दूषित करने से अच्छा है इन पैसों से किसी गरीब की इलाज करा देना या किसी की सेवा करना.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जिस पैसे से तुम टिकट खरीदकर अपना समय बर्बाद किए. उस पैसे से दाना खरीद कर पक्षी को चुगा देते तो मंगल हो जाता.