22 nov 2024
aajtak.in
हम अपने पूर्वजों और बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि माहवारी, मासिक धर्म या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई कार्य करने की मनाही होती है.
साथ ही, अगर कोई महिला या लड़की रजस्वला अवस्था से गुजर रही हैं तो उनको मंदिर में भी नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा, उन्हें पूजा पाठ और भगवान का भोग भी नहीं बनाना चाहिए.
वृंदावन-मथुरा के प्रेमानंद महाराज जी ने भी इस विषय पर अपनी राय रखी कि क्या माहवारी या पीरियड्स के दौरान लड़कियों को मंदिर जाना चाहिए या नहीं.
प्रेमानंद महाराज जी के मुताबिक, 'किसी भी शास्त्र में इस बात का जिक्र नहीं है कि मासिक धर्म में लड़कियों या महिलाओं को मंदिर नहीं जाना चाहिए.'
वो आगे कहते हैं कि मैंने अपने गुरुजनों से भी सुना है कि महिलाओं को मासिक धर्म में साप्ताहिकी अनुष्ठान नहीं करना चाहिए. हां, लेकिन महिलाएं इस अवस्था में भगवत लीला का चिंतन जरूर कर सकती हैं.
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को सिर्फ ईश्वर का नाम जप करना चाहिए, ऐसा करने से कुछ अमंगल नहीं होता है.
देवकीनंदन ठाकुर जी के मुताबिक, 'मासिक धर्म या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को विश्राम करना चाहिए. साथ ही, पूजा, अनुष्ठान और रसोई घर से दूर रहना चाहिए.'
आगे देवकीनंदन ठाकुर जी कहते हैं कि मासिक धर्म में महिलाओं को किसी भगवान के पंडाल या किसी कथा में भी प्रवेश नहीं करना चाहिए, ऐसा करना अधर्म होता है.
कथावाचक जया किशोरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय रखी थी. उन्होंने कहा था, पहले के समय में माहवारी की स्वच्छता के ज्यादा साधन नहीं होते थे, जिसके कारण महिलाओं को कपड़े का प्रयोग करना पड़ता था. तभी से महिलाओं को पीरियड्स के दौरान आराम करने की सलाह दी गई.