19 apr 2025
aajtak.in
हिंदू धर्म में कई ऐसी प्रथाएं हैं जो काफी समय से चली आ रही हैं जिसमें एक है मंदिर में नंगे पैर प्रवेश करना.
हम हमेशा अपने बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि मंदिर में नंगे पैर ही प्रवेश करना चाहिए वरना भगवान या ईश्वर का अपमान होता है.
हर व्यक्ति मंदिर में नंगे पैर ही प्रवेश करता है लेकिन इसके पीछे का क्या कारण है तो आइए जानते हैं.
मंदिर का निर्माण ऐसी जगह किया गया है जहां ऊर्जा और शक्ति बहुत ही ज्यादा होती है.
जब भी हम मंदिर में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले मंदिर के प्रवेशद्वार को छूते हैं और फिर साष्टांग नमस्कार करते हैं. उसके बाद मंदिर में नंगे पैर प्रवेश करते हैं.
ज्योतिषियों की मानें तो, साष्टांग नमस्कार करने से पृथ्वी तत्व से एक संपर्क निर्मित होता है और सकारात्मक ऊर्जा शरीर में ज्यादा से ज्यादा प्रवेश करती है.
अग्निपुराण में भी इस बात का जिक्र है कि जब मंदिर में नंगे पैर प्रवेश करते हैं और विनम्रता से झुकते है तो इससे हमारे अहंकार का त्याग हो जाता है.
आयुर्वेद के मुताबिक, नंगे पैर मंदिर में चलने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा कि जब हम मंदिर या किसी ऋषि मुनि के घर या तीर्थ यात्रा के यहां नंगे पैर जाते हैं तो हमारा हर एक कदम अश्वमेघ यज्ञ के बराबर होता है.