21 sep 2024
aajtak.in
हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व होता है. आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि मनाई जाती है.
नवरात्रि में देवी दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है.
सालभर में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि, एक शारदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि होती है.
इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर, गुरुवार से होने जा रही है और समापन 12 अक्तूबर को विजयादशमी या दशहरे के दिन होगा.
शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि इस बार 3 अक्टूबर को मध्यरात्रि 12:18 मिनट पर शुरू होगी और समापन 4 अक्टूबर को रात 2:58 मिनट पर होगा.
इस दिन कलशस्थापना का मुहूर्त सुबह 6:15 मिनट से लेकर 7:22 मिनट तक रहेगा. कलशस्थापना के लिए कुल 1 घंटा 06 मिनट का समय मिलेगा.
जो लोग सुबह के मुहूर्त में कलशस्थापना न कर पाएं वो अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना कर सकते हैं. कलशस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:57 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट तक रहेगा.
वहीं, कलशस्थापना वैधृति योग में निषेध मानी जाती है तो इसलिए वैधृति योग में घटस्थापना न करें.
कलश स्थापना के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को शुद्ध करना चाहिए. फिर, एक लकड़ी का पटरा रखकर उसपर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. उस कपड़े पर थोड़ा चावल रखें और चावल रखते हुए सबसे पहले गणेश जी का स्मरण करें.
उसके बाद एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें. उस पात्र पर जल से भरा हुई कलश स्थापित करें चाहिए. कलश पर रोली से स्वास्तिक या ऊं बनाएं. फिर कलश के मुख पर रक्षा सूत्र बांधें.
कलश में सुपारी, सिक्का डालकर आम या अशोक के पत्ते रखें. फिर उसके ऊपर चुनरी लपेटकर एक नारियल रख दें. अंत में दीप जलाकर कलश की पूजा करें.