23 July 2025
aajtak.in
सिहोर के प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा अपने अनमोल प्रवचनों से लोगों को शिव पुराण की कथा सुनाते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं.
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इस समय हिंदू धर्म का पांचवा महीना श्रावण मास चल रहा है. माना जाता है कि जो जातक देवों के देव महादेव की आराधना अगर श्रद्धा और नियम से साथ करता है, उसकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती हैं.
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इसी पूजा से जुड़ी एक अनोखी परंपरा है- शिव मंदिर में शिवलिंग के सामने तीन बार ताली बजाना. यह केवल एक रिवाज नहीं, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक और पौराणिक मान्यताएं छिपी हैं.
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आइए पंडित प्रदीप मिश्रा से जानते हैं कि आखिर शिव पूजा में तीन बार ताली बजाने का क्या महत्व है?
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पंडित प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि भगवान शिव के मंदिर में तीन बार ताली बजाने का परंपरा है. उन्होंने बताया है कि जब लंकापति रावण ने शिव मंदिर में तीन बार ताली बजाई थी, तब उसे राजपाट प्राप्त हुआ था.
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जब भक्त पहली ताली बजाते हैं, तो इसका अर्थ होता है कि वे भगवान शिव के समक्ष अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं.
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यह ताली भोलेनाथ को यह बताने का प्रतीक है कि अब भक्त उनकी शरण में आ चुके हैं और उनकी पूजा शुरू कर रहे हैं.
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दूसरी ताली तब बजाई जाती है जब भक्त अपने मन की बात, इच्छाएं और कामनाएं भगवान शिव के सामने प्रकट करते हैं.
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यह ताली उस क्षण का प्रतीक होती है जब भक्त भोलेनाथ से आशीर्वाद, सुख-समृद्धि और समाधान की प्रार्थना करता है.
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तीसरी और अंतिम ताली का अर्थ है पूर्ण समर्पण. इस ताली के माध्यम से भक्त यह स्वीकार करता है कि अब वह अपने सभी निर्णय, इच्छाएं और जीवन की दिशा शिवजी के हाथ में सौंप रहा है.
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