9 July 2025
aajtak.in
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है. तुलसी भगवान विष्णु को अतिप्रिय है और इसमें मां लक्ष्मी का वास होता है.
सावन का महीना महादेव को बेहद प्रिय है. माना जाता है कि जो भक्त सावन में शिव को एक लौटा जल चढ़ा देता है, महादेव उससे खुश होकर मनचाहा परिणाम देते हैं.
शास्त्रों में सावन के पावन महीने को लेकर कई नियमों के बारे में बताया गया है. इन्हीं में सावन में तुलसी के पत्ते न तोड़ने का नियम भी शामिल है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में तुलसी का पत्ता तोड़ना वर्जित है. ऐसे में आइए जानते हैं इस नियम के पीछे का कारण.
दरअसल, सावन मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और तुलसी माता भी विश्राम करती हैं. ऐसे में इस दौरान तुलसी को छूना या पत्ते तोड़ना उनका अपमान करने के सामान होता है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी, यानी तुलसी विवाह तक तुलसी को नहीं छूना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से पाप लग सकता है.
मान्यता है कि इस समय तुलसी माता तपस्या में लीन होती है और उन्हें छूना शुभ नहीं होता है. सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है.
इस महीने में भक्त शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल, धतूरा आदि कई चीजें चढ़ाते हैं. लेकिन ध्यान रहें कि शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना वर्जित माना गया है.
मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गलती से शिवलिंग पर तुलसी चढ़ा देता है, तो उसे पूजा से फल प्राप्त नहीं होता है और वह पूजा निष्फल मानी जाती है.