शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग में क्या है अंतर? जानें कैसे हुई इनकी उत्पत्ति

17 July 2025

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11 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में हर कोई महादेव की पूजा-उपासना करता है और उनके नाम का जयकारा लगाता है.

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सावन के दौरान लोग शिवलिंग की पूजा करते हैं और वहीं कईं भक्तगण इस दौरान महादेव के ज्योतिर्लिंग में जाकर उनके दर्शन भी करते हैं.

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अक्सर बहुत सारे लोग शिवलिंग और ज्योतिर्लिंग को एक जैसा मान लेते हैं. लेकिन दोनों का मतलब अलग अलग होता है. तो चलिए जानते हैं दोनों में क्या बुनियादी फर्क है.

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शिवपुराण के अनुसार, जहां जहां भगवान शिव ज्योति यानी प्रकाश के रूप में प्रकट हुए, उन स्थानों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है.

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हमारे देश में कुल 12 ज्योतिर्लिंग हैं जो भारत के अलग अलग हिस्सों में स्थित हैं. माना जाता है कि इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति आती है.

वहीं, शिवलिंग एक ऐसा प्रतीक है जिसे या तो भक्तों ने पूजा के लिए बनाया है या भगवान शिव खुद प्रकट हुए हैं.

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शिवलिंग का मतलब है अनंत यानी जिसका कोई अंत नहीं है. ये भी भगवान का प्रतीक माना जाता है और इसे स्थापित कर पूजा की जाती है.

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कहते हैं कि शिवलिंग की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है और भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद परिवार पर हमेशा बना रहता है.

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