16 July 2025
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भगवान शिव केवल एक देवता नहीं हैं, बल्कि वे स्वयं एक भाव हैं- शुद्ध, निराकार और अनंत. उनका दर्शन जितनी भिन्न दृष्टियों से किया जाए, उतनी ही गहराई से वे आत्मा को स्पर्श करते हैं.
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सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि सावन में यदि कोई भक्त श्रद्धा से 5 विशेष चीजों को देख ले तो वो केवल दर्शन नहीं करता, बल्कि शिवत्व को अपने भीतर उतरता है.
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1. बेलपत्र के वृक्ष के नीचे जाकर ऊपर की ओर मुख करके जब हम उसका दर्शन करते हैं, तो हम उस श्रद्धा और समर्पण को देखते हैं यह हमें विनम्र बनाता है .
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2. जब आप मंदिर के बाहर से ही शिवालय के शिखर को निहारते हैं, तो आप ये स्वीकार करते हैं कि शिव सबसे ऊपर हैं.
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3. मान्यता है कि नंदी के नेत्र सदा शिवलिंग पर ही होते हैं. जब हम नंदी के सामने खड़े होकर शिव को देखते हैं, तो हम भक्ति में स्थिरता और निष्ठा को समझते हैं. यह हमें सिखाता है कि भक्ति मार्ग पर डगमगाना नहीं है.
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4. डमरू से सृष्टि की ध्वनि उत्पन्न हुई, त्रिशूल से संतुलन बना, जलाधारी जीवन का आधार है. इनका दर्शन आत्मा को शिव के व्यापक स्वरूप से जोड़ता है .
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5. शिवलिंग का दर्शन हमारी आत्मा को प्रभु से जोड़ने वाली अंतिम कड़ी है. यह रूप हमें याद दिलाता है कि शिव किसी रूप में बंधे नहीं हैं. वे अनंत, अखंड और अटल हैं.
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5. पं. प्रदीप मिश्रा के अनुसार शिवलिंग का दर्शन हमें अपने भीतर के शिव को जाग्रत करने की प्रेरणा देता है. वह चेतना जो सबमें है, सबका आधार है.
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