20 July 2025
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हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का प्रतीक माना गया है. धर्मग्रंथों के अनुसार, जब भगवान शिव ने वर्षों की गहन तपस्या के बाद अपनी आंखें खोलीं, तो उनकी आंखों से निकले आँसू धरती पर गिरकर रुद्राक्ष वृक्ष के रूप में फले-फूले.
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इसलिए रुद्राक्ष को शिव स्वरूप कहा गया है और इसे धारण करने से व्यक्ति को शिव की कृपा प्राप्त होती है.
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सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है. इस दौरान व्रत, जप और ध्यान करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
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रुद्राक्ष धारण करना इस माह में और भी शुभ होता है, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और साधक को अध्यात्म की ओर ले जाता है.
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यदि आप शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या या अशुभ दशा से परेशान हैं, तो सावन में 10 मुखी रुद्राक्ष धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है.
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यह रुद्राक्ष न केवल भगवान शिव का प्रतीक है, बल्कि इसे दशावतार (भगवान विष्णु के 10 अवतारों) से भी जोड़ा जाता है.
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यह रुद्राक्ष शनि ग्रह के दुष्प्रभावों को शांत करता है और मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक परेशानियों से छुटकारा दिलाने में सहायक होता है.
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सावन के सोमवार, शिवरात्रि, प्रदोष व्रत के दिन रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं. सुबह ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय इसे पहनना सर्वोत्तम होता है. एक लाल कपड़ा लें और उस पर रुद्राक्ष को अपने पूजा स्थान या शिवलिंग के पास रखें.
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"ॐ नमः शिवाय" मंत्र का 108 बार जाप करें. रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करें. फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) में कुछ देर डुबोएं. फिर उसे धारण करें.
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