श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या होती है.
इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या यानी सर्वपितृ अमावस्या 6 अक्टूबर को है.
इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है.
वैसे तो श्राद्ध पितरों की मृत्यु की तिथि के अनुसार किया जाता है पर तिथि के भूल जाने पर भी कोई दिक्कत नहीं है.
अगर श्राद्ध की तिथि भूल गए हैं या किसी कारण श्राद्ध न कर पाए हैं तो आप सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध कर्म कर सकते हैं.
यह पितरों की विदाई का दिन होता है. इसलिए उन्हें किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए विदा करना चाहिए.
मान्यताओं के अनुसार पितर कौओं के रूप में आकर भोजन ग्रहण करते हैं.
कहा जाता है कि इस दिन गीता के सातवें अध्याय का पाठ अवश्य करना चाहिए.
ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर धरती से लौटते हैं.