20 June 2025
Aajtak.in
घर या मंदिर के उत्सव में बर्तन या क्रॉकरी की व्यवस्था टेंट हाउस करता है. इन बर्तनों में शायद पहले कहीं नॉनवेज भी परोसा जा चुका होता है.
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फिर उन्हीं बर्तनों में प्रसाद बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है और श्रद्धालुओं में बांटा जाता है.
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वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज के दरबार में एक भक्त ने इस पर सवाल उठाया. आइए जानते हैं कि प्रेमानंद जी ने क्या जवाब दिया.
प्रेमानंद महाराज ने कहा, ' भगवान के प्रसाद को नॉनवेज या मांस के लिए इस्तेमाल किए जा चुके बर्तनों से दूर रखना चाहिए.'
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'अपवित्र पात्र (बर्तन) में बनाया गया प्रसाद आवक्ष होता है, जो राक्षस या असुर जैसी बुद्धि पैदा करता है. इसलिए ये गलती न करें.'
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इस बीच एक भक्त ने पूछा कि जिन बर्तनों में प्याज-लहसुन का प्रयोग किया गया हो, क्या उनमें प्रसाद बनाया या खाया जा सकता है.
इस पर प्रेमानंद जी ने कहा, 'लहसुन-प्याज मांस के समान निषेध नहीं है. लहसुन-प्याज के बर्तन को मांझकर उसका प्रयोग किया जा सकता है.'
'प्याज-लहसुन कोई बुरी चीज नहीं हैं. इन्हें भी आलू की तरह उगाया जाता है. ये शरीर में तमो गुण पैदा करते हैं, बस इसलिए वर्जित हैं.'