22 Aug 2025
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वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज अपने दिव्य वचनों से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए वृंदावन पहुंचते हैं.
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि यदि मनुष्य अपनी कामना की पूर्ति करना चाहते हैं, तो उसे गलत आचरण और पाप कर्मों का त्याग करना होगा. क्योंकि पाप का फल दुख और विपत्ति ही होता है.
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महाराज ने कहा कि यदि आप तामसिक भोजन जैसे मांस-मछली आदि ग्रहण करते हैं, जीवों को कष्ट पहुंचाते हैं, हिंसा करते हैं, अपवित्र आचरण अपनाते हैं तो भगवान आपसे कभी प्रसन्न नहीं होंगे.
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ऐसे पाप कर्म आपकी इच्छाओं की पूर्ति में बाधा डालते हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर जाना जरूरी नहीं है. यदि आप अपने घर में पवित्र आचरण करें, सात्विक भोजन खाएं और भगवान के नाम का जाप करें, तो भगवान की कृपा बनी रहेगी.
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प्रेमानंद महाराज ने कहा, ईश्वर के प्रति प्रेम तभी जाग्रित होगा, जब मनुष्य अपराध और गलत आचरण से बचेगा.
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उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि अगर वे मांस-मछली नहीं खाएँगे तो सृष्टि का संतुलन बिगड़ जाएगा, उन्हें यह समझना चाहिए कि सृष्टि का संतुलन परमात्मा के हाथों में है. परमात्मा ही सृष्टि के संचालक और पालनहार हैं.
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वे काल के भी काल हैं. समय-समय पर वे स्वयं सृष्टि का संतुलन बनाते रहते हैं. यह कार्य मानव का नहीं, बल्कि केवल ईश्वर का है.
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महाराज अंत में कहते हैं कि अगर आप अपनी कामना पूरी करना चाहते हैं तो अपवित्र भोजन और गलत आचरण को त्याग दें. पवित्र जीवन अपनाने वाले लोगों की इच्छाएं शीघ्र पूरी होती हैं.
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