2 Aug 2025
PC: Instagram/@Bhajanmargofficial
भजन संस्कृत शब्द "भज" से बना है, जिसका अर्थ है भक्ति करना यानी ईश्वर में लीन होना. साधारण शब्दों में भजन एक भाव है, जिसमें हम भगवान को याद करते हैं .
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एक शख्स ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि भजन करने से क्या मिल सकता है? महाराज ने मुस्कराते हुए कहा कि भजन केवल शब्दों का उच्चारण नहीं है, यह आत्मा की शक्ति है.
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भक्त ने पूछा कि भजन से क्या-क्या संभव है? प्रेमानंद महाराज ने कहा कि भजन करके हम जीवन-मरण के चक्र को रोक सकते हैं. विधि का विधान चाहे जैसा भी हो, अगर हमारे पास भजन बल है, तो हम उसे बदल सकते हैं.
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हम मनुष्य हैं. केवल शरीर नहीं, आत्मा हैं. और जब आत्मा भजन में लीन होती है, तो वह परमात्मा से जुड़ जाती है. उस स्थिति में मनुष्य भगवान को भी अधीन कर सकता है.
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उन्होंने आगे बताया कि भजन और तपस्या का बल इतना प्रबल होता है कि इससे मृत्यु को भी टाला जा सकता है. यह अमरता का मार्ग है.
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जब हम सच्चे भाव से भगवान का नाम लेते हैं, तो हम उस शक्ति से जुड़ते हैं, जो हमें हर परिस्थिति से ऊपर उठा सकती है.
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महाराज ने आगे कहा कि भजन के बल से हम जो चाहें, वह बन सकते हैं. एक साधारण मनुष्य भी महान बन सकता है. दुख, रोग, चिंता सबका अंत केवल नाम स्मरण से हो सकता है.
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प्रेमानंद महाराज ने यह भी कहा कि भगवान से हमें आशाएं हैं, अपेक्षाएं हैं, लेकिन भगवान भी उसी से प्रसन्न होते हैं, जो भजन करता है, जो उनका सच्चा प्रेमी होता है.
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