27 Aug 2025
Photo: Instagram/@Bhajanmargofficial
आजकल हर घर में छोटी-छोटी बात पर लोग कसम खाना शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या ऐसा करना सही है? इस पर प्रेमानंद महाराज ने प्रतिक्रिया दी है.
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि कसम का मतलब प्रतिज्ञा होता है. ये कोई खेल नहीं है, बल्कि एक गंभीर वचन है. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर कोई कसम तोड़ दे तो उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
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इसलिए हर छोटी-बड़ी बात पर कसम दिलवाना या लेना उचित नहीं. सच्चाई साबित करने के लिए कसम नहीं, बल्कि विश्वास और सत्य बोलने की आदत ही सबसे बड़ी ताकत है.
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प्रेमानंद महाराज के अनुसार,अगर कोई व्यक्ति कसम खाता है और उसे तोड़ देता है तो उसके पहले किए गए सभी अच्छे कर्म और पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
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इसलिए कहते हैं कि कसम कभी तोड़नी नहीं चाहिए. लेकिन यहां एक और जरूरी बात समझनी जरूरी है कि अपने स्वार्थ के लिए कभी दूसरे को जबरदस्ती कसम दिलाना मान्य नहीं है.
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अपने स्वार्थ के लिए दी गई कसम असल में लागू ही नहीं होतीं, क्योंकि यह व्यक्ति की स्वेच्छा से नहीं, बल्कि दबाव डालकर दिलाई गई हैं.
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महाराज जी कहते हैं कि कसम तभी प्रभावी होती है, जब हम उसे स्वेच्छा से स्वीकार करें. अगर हम मन से कसी कसम को नहीं मानते, तो उसका कोई प्रभाव नहीं होता है.
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महाराज जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर किसी को शराब छोड़नी है, तो पहले खुद प्रयास करके एक महीना छोड़कर देखें. जब यह संभव लगे, तभी कसम खानी चाहिए.
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