भंडारे का संकल्प अधूरा रह जाए तो क्या दोष लगता है? प्रेमानंद महाराज ने दिया इसका उत्तर

22 July 2025

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भंडारा एक धार्मिक आयोजन होता है जिसमें सामूहिक रूप से भोजन वितरित किया जाता है. इसको करवाने का उद्देश्य न केवल अपने मन को शुद्ध करना होता है. बल्कि, यह ईश्वर के साथ भी संबंध मजबूत करता है.

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वहीं, वृंदावन मथुरा के जाने माने प्रेमानंद महाराज के पास भी एक भक्त अपने भंडारे से जुड़ी समस्या का हल लेने पहुंचा. उस भक्त ने प्रेमानंद महाराज से कहा कि, 'भंडारे का संकल्प अधूरा रह जाए तो क्या भगवान नाराज हो जाते हैं.'

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इस पर प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया कि, 'ऐसा बिलकुल नहीं होता. भगवान इतने स्वार्थी नहीं होते कि वे हमसे इस बात की उम्मीद करें कि हम अपना संकल्प पूरा करें. भगवान तो बड़े दयालु हैं और उनकी समझ हमसे कई गुना बड़ी है.'

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'हां, ये जरूर है कि जब हमने मन में ये ठाना कि हम सौ संतों को भोजन कराएंगे, लेकिन आज किसी कारण से वो संभव नहीं हो पाया, तो ये बात हमें याद रखनी चाहिए कि जब हमारी स्थिति ठीक होगी, तो हम जरूर उस संकल्प को पूरा करेंगे.'

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'जैसे आज व्यवस्था खराब हो गई है, तो हम सोचें कि जब सब सही होगा, तब ये काम करेंगे. भगवान इस बात से नाराज नहीं होते.'

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'लेकिन जो संकल्प हमने लिया है, उसे पूरा करना अच्छा होता है. मान लो हमने कहा था कि हम गंगा स्नान करेंगे किसी खास तारीख को वह किसी वजह से नहीं हो पाया. तो उस तारीख को टालकर अगली तारीख संकल्प के लिए तय कर सकते हैं.'

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'पवित्र कार्य जैसे दान-पुण्य, तीर्थ यात्रा, भगवान के दर्शन- इन्हें टालना नहीं चाहिए, बस समय पर कर देना चाहिए. अगर कोई मुश्किल आ जाती है तो बस अगला मौका ले लें.'

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'क्योंकि भगवान तो हमारे हृदय की मंशा देखते हैं, न कि केवल तारीखों को. इसलिए घबराने की बात नहीं, बस अपने संकल्प को भूलें नहीं और जब भी मौका मिले, उसे पूरा करें.'

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