15 July 2025
Aajtak.in
नाम जप एक साधारण क्रिया नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच का एक भावपूर्ण संवाद है. जब कोई श्रद्धा और समर्पण के साथ राम के नाम का जप करता है, तो वह केवल शब्दों को दोहरा नहीं रहा होता है.
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वह अपने मन और आत्मा को ईश्वर के चरणों में अर्पित कर रहा होता है. लेकिन कई बार हम ऐसा महसूस करते हैं कि नाम जपने से भी दुख दूर नहीं हो रहें हैं.
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एक बार एक भक्त प्रेमानंद जी महाराज के चरणों में आया और पूछा कि राम नाम जपने से भी दुख क्यों कम नहीं होते. इसकी वजह क्या है?
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यह प्रश्न कई साधकों के मन में उठता है कि मैं तो साल भर से नाम जप कर रहा हूँ, फिर भी एक के बाद एक विपत्ति क्यों आ रही है?
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प्रेमानंद जी महाराज इस भ्रम को बहुत ही सुंदर तरीके से स्पष्ट करते हैं. उन्होंने इसका जवाब देते हुए कहा कि नाम अपना प्रभाव जरूर करेगा, लेकिन जो पाप पहले कर चुके हो, उनका फल तो भुगतना ही पड़ेगा.
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नाम जप से हमारे वर्तमान और भविष्य सुधरते हैं, लेकिन भूतकाल के कर्मों का जो लेखा-जोखा है, वह जब तक पूरा नहीं होता.
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तब तक जीवन में कुछ कष्ट आ सकते हैं. इसका मतलब यह नहीं कि नाम का प्रभाव नहीं हो रहा . बल्कि नाम जप से उन कष्टों की तीव्रता और अवधि कम हो जाती है.
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महाराज जी यह भी बताते हैं कि विपत्ति चाहे जितनी भी क्यों न हो, वह ईश्वर की कृपा से एक प्रकार का शुद्धिकरण बन जाती है. जो विपत्तियाँ आ रही हैं, वो शायद पहले और भी बड़ी हो सकती थीं. नाम की शक्ति ने उन्हें सहने योग्य बना दिया है.
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