'हिंदू थे टारगेट, आतंकवाद पर सख्ती की जरूरत', पहलगाम आतंकी हमले पर धर्मगुरुओं में भी गुस्सा

23 Apr 2025

Aajtak.in

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हुई है. इस घटना से जुड़ी कई वीडियो अब सोशल मीडिया पर घूम रही हैं.

घटना के वक्त बैसारन घाटी में मौजूद लोगों ने चश्मदीदों ने बताया कि आतंकियों ने उनका धर्म पूछा, कलमा पढ़ने को कहा और फिर तड़ातड़ गोलियां चला दीं.

सनातन धर्म के सर्वोच्च गुरुओं ने इस घटना की घोर निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर अपने रिएक्शन दिए हैं.

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु ने X पर लिखा, 'आतंकवाद का उद्देश्य युद्ध नहीं बल्कि समाज को डर से लाचार बनाता है. देश को तोड़ना, दहशत फैलाना और आर्थिक नुकसान पहुंचाना इसका उद्देश्य है.'

'अगर हमें देश की संप्रभुत्ता कायम रखनी है तो आतंकवाद से सख्ती के साथ निपटना होगा. फिलहाल धर्म, जाति या राजनीति से ऊपर उठते हुए हमें एकसाथ खड़े होने की जरूरत है.'

बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने इंस्टाग्राम पर लिखा, 'पहले नाम पूछा. जब 'हिंदू' सुना तो बेरहमी से गोलियां बरसाईं. ये कोई युद्ध का मैदान नहीं था. किसी निर्दोष की जिंदगी खत्म कर दी गई.'

'ये हमला हर उस हिंदू पर था, जो आज भी शांति का पुजारी बनकर जीवन जीने का सपना देख रहा है. जो इन कट्टरपंथियों, विधर्मियों में भाईचारे और शांति की तलाश की तलाश कर रहा है.'

योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा, 'भारत के लोग आतंकियों के मंसूबों को कामयाब नहीं होने देंगे. हिंदुस्तान में हर व्यक्ति को सेना के जवान की तरह खड़ा होना होगा.'

'भारत में दो तरह के मुसलमान हैं. एक वो जो इस्लाम और भारत को समान गौरव देता है. लेकिन एक वो भी है जो देश को तोड़ने की बात करता है. और ये पाकिस्तान के इशारे पर हो रहा है.'

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा, 'कब तक हम ये सब बर्दाश्त करते रहेंगे. कश्मीर में 28 लोग दिखावटी भाईचारे की भेंट चढ़ गए. पता नहीं लोग कैसे कह देते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है.'

'धर्म पूछकर लोगों पर गोलियां चलाई गईं. इसका मतलब है कि जो इस्लाम को नहीं मानेगा, उसे मार दिया जाएगा. फिर चाहे वो किसी भी जाति का क्यों न हो.'

वृंदावन के एक और कथावाचक पुण्डरीक गोस्वामी ने कहा, 'जब भी कोई देश मजबूती के साथ आगे बढ़ता है तो अराजक तत्व उसे दबाने, खंडित करने का प्रयास करते हैं.' 

उन्होंने जीभ और दांत का उदाहरण देते हुए कहा, 'आजकल दांतों की तरह अराजक तत्व भी एकजुट हो चुके हैं. इसलिए इनके बीच फंसी मासूम जीभ को संभलकर रहना चाहिए.'