30 July 2025
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वैदिक ज्योतिष और हमारे पुराणों में भी सूर्य का विशेष महत्व बताया गया है. पौराणिक काल से ही सूर्य को देवता का दर्जा प्राप्त है.
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हिंदू धर्म में सुबह की शुरुआत सूर्य देव को जल चढ़ाने के साथ होती है. सूर्य को जल का अर्घ्य देना या जल अर्पित करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है.
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ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और जीवन के सभी कष्ट भी दूर होते हैं.
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तो चलिए जानते हैं कि सूर्य को अर्घ्य देते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए और अर्घ्य देने की सही विधि क्या है.
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सूर्य देवता को हमेशा तांबे के लोटे से अर्घ्य देना बहुत ही शुभ माना जाता है और उससे उत्पन्न होने वाली ऊर्जा शरीर के लिए अच्छी मानी जाती है.
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इसके अलावा, सूर्य को अर्घ्य देने का सबसे अच्छा समय होता है जब सूर्योदय हो रहा हो. आप चाहे तो सूर्य को अर्घ्य सूर्योदय के एक घंटे बाद भी दे सकते हैं.
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अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र ‘ओम सूर्याय नमः’ का 11 बार जप करना चाहिए, इसके बाद सूरज की ओर मुंह करते हुए 3 बार परिक्रमा करनी चाहिए.
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जब सूर्य पूर्व दिशा की ओर निकले उसी समय अर्घ्य भी उसी दिशा में अर्पित करना फलदायी है.
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